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Saturday, November 23, 2024
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अश्लीलता की बाढ़ में बर्बाद होती युवा पीढ़ी: सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती चुनौती

भारतीय समाज और संस्कृति को बचाने के लिए सख्त नियम और नैतिक जिम्मेदारी की जरूरत

सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता का बढ़ता प्रसार भारतीय समाज के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर रहा है। सदियों से भारतीय संस्कृति में सदाचार, विनम्रता, और चरित्र निर्माण जैसे गुणों को प्रमुखता दी जाती रही है। फिर भी, आज के समय में नैतिक पतन और अपराधों में बढ़ोतरी की खबरें हर दिन सुर्खियों में रहती हैं। इसका एक प्रमुख कारण सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैल रही अश्लीलता है, जो हमारे समाज को अंदर से खोखला कर रही है।

सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री की बाढ़

इंटरनेट और सोशल मीडिया के उदय ने जहां एक ओर हमें ज्ञान और संचार के अनगिनत साधन दिए हैं, वहीं दूसरी ओर इसके कुछ गंभीर नकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं। यूट्यूब, इंस्टाग्राम रील्स और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री की उपलब्धता इतनी सामान्य हो चुकी है कि इसे नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया है। ये सामग्री न केवल हमारे समाज के नैतिक ढांचे को बर्बाद कर रही है, बल्कि युवाओं और बच्चों के व्यवहार को भी गलत दिशा में ले जा रही है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बात करें तो, हाल के वर्षों में वेब सीरीज और फिल्मों के नाम पर ऐसा कंटेंट परोसा जा रहा है जिसे परिवार के साथ बैठकर देखना असंभव हो गया है। कामुकता, हिंसा, और गाली-गलौज से भरी इन वेब सीरीज ने अश्लीलता को क्रिएटिविटी के नाम पर सामान्य बना दिया है। इसका सबसे बुरा प्रभाव युवाओं और किशोरों पर पड़ रहा है, जिनके जीवन और मानसिकता पर ये अश्लील सामग्री गहरा असर डाल रही है।

ओटीटी और सोशल मीडिया का युवाओं पर प्रभाव

ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते चलन के कारण आज हर बच्चे के हाथ में स्मार्टफोन है। इससे माता-पिता के लिए यह नियंत्रित करना मुश्किल हो गया है कि उनके बच्चे क्या देख रहे हैं। स्मार्टफोन की इस आसानी से उपलब्धता ने अश्लील कंटेंट तक बच्चों और किशोरों की पहुँच को और भी आसान बना दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो रील्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध गंदा कंटेंट किशोरों को अशिष्टता, गालियाँ, और हिंसा की ओर आकर्षित कर रहा है।

किशोर और युवा जो मानसिक रूप से पूरी तरह परिपक्व नहीं होते, इन चीज़ों से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। उनका नैतिक और चारित्रिक विकास कमजोर हो रहा है, और वे भटकाव की दिशा में जा रहे हैं।

अश्लीलता पर सरकार की पहल और सेंसरशिप की आवश्यकता

इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को सेंसरशिप के दायरे में लाना बेहद जरूरी है ताकि उन पर उपलब्ध सामग्री को उचित स्तर पर नियंत्रित किया जा सके। थिएटर में जिस प्रकार बच्चों को एडल्ट फिल्मों से दूर रखा जाता है, उसी प्रकार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी ऐसा प्रावधान होना चाहिए।

2021 में लागू हुए नए आईटी नियमों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और असामाजिक कंटेंट को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। इन नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को इस तरह के कंटेंट के स्रोत की जानकारी देनी होती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसे सबसे पहले किसने साझा किया। परंतु, ये शुरुआती कदम हैं और अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

कंटेंट क्रिएटर्स और समाज की जिम्मेदारी

अश्लीलता पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं है, बल्कि कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स को भी अपनी भूमिका समझनी होगी। उन्हें इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि उनका कंटेंट समाज पर किस प्रकार का प्रभाव डालता है। उनका हर वीडियो, हर पोस्ट समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुँचता है और उसका सीधा प्रभाव लोगों के विचार और व्यवहार पर पड़ता है।

दर्शकों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने मनोरंजन की सीमाएं समझें और असामाजिक चीजों का विरोध करें। जब समाज के लोग खुद अश्लीलता का विरोध करेंगे, तभी इस पर प्रभावी रोक लग सकेगी।

नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी की जरूरत

सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता को रोकना केवल कानूनी जिम्मेदारी नहीं है, यह एक नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है। जब तक समाज खुद इस दिशा में अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगा, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। कंटेंट क्रिएटर्स और दर्शकों दोनों को यह सोचना होगा कि हमारी संस्कृति, समाज, और नई पीढ़ी को हम किस दिशा में ले जा रहे हैं।

आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए सख्त कदम जरूरी

अश्लीलता की इस बाढ़ को रोकना बेहद आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि हमारे युवाओं को भी भटकाव की ओर ले जा रही है। इसके लिए सरकार, समाज और कंटेंट क्रिएटर्स सभी को मिलकर काम करना होगा।

हम सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे समाज में नैतिकता और आदर्शों का पालन हो। तभी हम एक स्वस्थ और संस्कारित समाज का निर्माण कर पाएंगे, जो हमारी संस्कृति को सम्मान के साथ आगे बढ़ाएगा।

News – Muskan

Edited by – Sanjana Kumari

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