गुमला, 3 जून 2025 — गुमला जिला मुख्यालय के घाटो बगीचा क्षेत्र में बुधवार की देर रात एक भीषण अग्निकांड में एक घर और उसके मालिक सत्यनारायण विश्वकर्मा (उम्र लगभग 60 वर्ष) जलकर राख हो गए। घटना रात्रि करीब 1 बजे की बताई जा रही है, जब मकान से अचानक धुएं और लपटें उठती देख पड़ोसियों में हड़कंप मच गया।
स्थानीय लोगों ने पहले अपने स्तर पर पाइप और बाल्टी से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी भयावह थी कि काबू नहीं पाया जा सका। कुछ देर बाद फायर ब्रिगेड और गुमला पुलिस गश्ती दल को सूचना दी गई, जिसके बाद टीमों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाने की कोशिश की, मगर तब तक सब कुछ जलकर राख हो चुका था।
नरकंकाल मिलने से इलाके में सन्नाटा, आग लगने का कारण बना रहस्य
घटना स्थल पर मकान के मलबे के बीच सत्यनारायण विश्वकर्मा का जला हुआ नरकंकाल मिला, जिसे पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु गुमला सदर अस्पताल भेज दिया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार शव को फॉरेंसिक जांच के लिए रांची रिम्स भेजे जाने की संभावना है, जिससे आग लगने के कारणों और मौत की स्थिति का स्पष्ट पता चल सके।
प्राथमिक जांच में आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। कुछ लोगों का कहना है कि खाना बनाते वक्त आग लगी होगी, तो कुछ शॉर्ट सर्किट को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन कोई पुख्ता जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। पुलिस विभिन्न एंगल से मामले की जांच में जुटी है।
एकांत जीवन और समाज से दूरी ने और बढ़ाई रहस्य की परतें
स्थानीय निवासियों ने बताया कि सत्यनारायण विश्वकर्मा सामाजिक रूप से काफी अलग-थलग रहते थे। न वे पड़ोसियों से बातचीत करते थे, न ही किसी के हाथ का बना खाना खाते थे। यहां तक कि अपने घर के चारों ओर घेराबंदी भी कर रखी थी और परिवार के लोगों से भी दूरी बनाकर रखते थे।
पड़ोसियों का कहना है कि वह अक्सर देर रात अकेले खाना बनाते थे और घर के बाहर भी बहुत कम दिखाई देते थे। ऐसे में आग लगना एक रहस्य बन गया है, जिसकी तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने गहन जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने शुरू की गहन छानबीन
गुमला सदर थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस टीम घटनास्थल की बारीकी से जांच कर रही है और पड़ोसियों व परिचितों से पूछताछ की जा रही है। थाना प्रभारी ने जानकारी दी कि “मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह साफ हो सकेगी।”
यह घटना न केवल गंभीर लापरवाही या तकनीकी चूक की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि एकांत में जीने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा को लेकर समाज और प्रशासन को सजग रहने की जरूरत है।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया