घाघरा (गुमला): गुमला जिले के घाघरा प्रखंड परिसर में स्थित महात्मा गांधी पुस्तकालय छात्रों के लिए ज्ञान का केंद्र बन गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को यहां किताबों, कंप्यूटर, इंटरनेट और शांत वातावरण जैसी सुविधाएं मिल रही हैं, जिससे उनकी पढ़ाई अधिक प्रभावी हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित यह पुस्तकालय बच्चों के शैक्षणिक विकास में अहम भूमिका निभा रहा है और उन्हें बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर कर रहा है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए लाभकारी
इस पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर हजारों किताबें, पत्रिकाएं और समाचार पत्र उपलब्ध हैं, जो छात्रों की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक हैं। साथ ही, कंप्यूटर और इंटरनेट सुविधा के कारण विद्यार्थी ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग कर अध्ययन कर सकते हैं। समूह अध्ययन के लिए अलग से स्थान बनाया गया है, जिससे छात्र मिलकर पढ़ाई कर सकें।
सुदूरवर्ती क्षेत्रों के छात्रों को शिक्षा का नया मंच
आदिवासी बहुल घाघरा प्रखंड के छात्रों के लिए यह पुस्तकालय वरदान साबित हो रहा है। छात्र इसे शिक्षा के नए द्वार के रूप में देख रहे हैं, जहां उन्हें अपने ज्ञान को बढ़ाने का अवसर मिल रहा है। पुस्तकालय में समय-समय पर पुस्तक प्रदर्शनी, सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं, जिससे विद्यार्थियों को नई जानकारी और कौशल सीखने का मौका मिलता है।
गरीब छात्रों के लिए मील का पत्थर
पुस्तकालय भवन के अध्यक्ष अगस्टिन महेश कुजूर ने कहा, “घाघरा प्रखंड में कई ऐसे छात्र हैं, जो आर्थिक तंगी के कारण बड़े शहरों में जाकर पढ़ाई नहीं कर सकते। यह पुस्तकालय उनके लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है।” यहां सभी प्रकार की प्रतियोगी किताबें उपलब्ध हैं, जिससे छात्र बेहतर तैयारी कर पा रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन की पहल से मिली नई पहचान
इस संबंध में घाघरा के बीडीओ दिनेश कुमार ने कहा, “महात्मा गांधी पुस्तकालय सुदूरवर्ती क्षेत्र के छात्रों के लिए एक बड़ी सौगात है। यहां विद्यार्थियों को वह सुविधाएं मिल रही हैं, जिनके लिए पहले उन्हें रांची, धनबाद, बोकारो या दिल्ली जाना पड़ता था। अब वे बिना किसी खर्च के उच्चस्तरीय अध्ययन कर सकते हैं।” उन्होंने आशा जताई कि यहां पढ़ने वाले छात्र आने वाले दिनों में घाघरा का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करेंगे।
छात्रों को लक्ष्य प्राप्त करने में होगी आसानी
पुस्तकालय भवन के सचिव अनिरुद्ध चौबे ने कहा, “हमारा उद्देश्य छात्रों को बेहतर शिक्षा और अध्ययन के साधन उपलब्ध कराना है। इस पुस्तकालय के माध्यम से वे अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि छात्रों में सीखने की इच्छा और दृढ़ संकल्प हो, तो यह पुस्तकालय उनके सपनों को पूरा करने में मददगार साबित होगा।
महात्मा गांधी पुस्तकालय केवल एक भवन नहीं, बल्कि ज्ञान और अवसरों का केंद्र बन चुका है। यह ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को बेहतर शिक्षा, आधुनिक संसाधन और प्रतियोगी माहौल प्रदान कर रहा है। यह पहल शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे छात्र अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें और उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ें।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया