गुमला, 7 जून — गुमला जिले में ईद-उल-अजहा का पर्व सोमवार को पूरी श्रद्धा, उमंग और भाईचारे के माहौल में मनाया गया। सिसई रोड स्थित गुमला ईदगाह में सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकत्र होकर बकरीद की नमाज़ अदा की। नमाज की इमामत स्थानीय जामा मस्जिद के इमाम ने की। इसके बाद शहर, राज्य और देश की खुशहाली के लिए विशेष दुआ की गई।
इस अवसर पर मौलाना ऐनाम रब्बानी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा,
“ईद-उल-अजहा न सिर्फ कुर्बानी का त्योहार है, बल्कि यह त्याग, समर्पण और भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक है। यह पर्व हज़रत इब्राहीम और उनके पुत्र हज़रत इस्माईल की वह मिसाल है जो इतिहास में बेमिसाल है और रहती दुनिया तक इंसानियत को प्रेरणा देती रहेगी।”
उन्होंने कहा कि कुर्बानी का मूल उद्देश्य अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना को दर्शाना है। यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे ईमान और विश्वास के रास्ते पर चलते हुए एक इंसान अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्रिय चीज़ को भी त्यागने के लिए तैयार हो सकता है।
मौलाना रब्बानी ने लोगों को हज़रत मोहम्मद साहब के बताए गए सुन्नत तरीके पर चलने की सलाह दी और कहा कि जीवन में इंसानियत, करुणा और परोपकार को सबसे ऊपर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के गरीब, असहाय, महिलाओं और ज़रूरतमंदों की मदद करना ही सच्चे इस्लाम और कुर्बानी की भावना का सार है।
कार्यक्रम के अंत में ईदगाह परिसर में आपसी गले मिलन और मुबारकबाद का सिलसिला देखने को मिला, जहाँ बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक ने एक-दूसरे को गले लगाकर भाईचारे की मिसाल पेश की।
गुमला में ईद-उल-अजहा का यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि इंसानियत, सहयोग और समर्पण का संदेश देने वाला दिन बन गया।
न्यूज़-गणपत लाल चौरसिया