आज के दौर में संगीत केवल एक क्लिक की दूरी पर है, लेकिन इसके बावजूद हम अक्सर उस पुराने दौर की मिठास को मिस करते हैं। हाल ही में मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे इस बदलाव पर गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। एक शाम, घर लौटते समय, दूर कहीं से एक पुराना गीत सुनाई दिया। उस गीत ने मुझे उस दौर में पहुंचा दिया जब संगीत सुनने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। तब तकरीबन हर गीत से एक खास जुड़ाव होता था, जो आज की तकनीकी सहजता में कहीं खो सा गया है। उस पल ने मुझे यह एहसास कराया कि भले ही आज संगीत आसानी से उपलब्ध है, लेकिन वह पुराना रोमांच और मिठास कहीं गायब हो गई है।
ग्रामोफोन का दौर: संगीत सुनना एक रस्म की तरह
पुराने समय में संगीत सुनना एक साधारण क्रिया नहीं, बल्कि एक रस्म हुआ करती थी। मुझे आज भी अपने दादाजी का ग्रामोफोन याद है, जिस पर वे गाने बजाया करते थे। हर बार गाना सुनने से पहले ग्रामोफोन को बहुत ध्यान से सेट किया जाता था। कांच की डिस्क को साफ करना, फिर सुई को बेहद सावधानी से डिस्क पर रखना—यह सब बेहद खास लगता था। ग्रामोफोन के धीमे घूमने और सुई के सुर निकालने का वह जादुई अनुभव, दिल को छू जाने वाली वह मिठास, आज के डिजिटल युग में कहीं खो गई है।
हालांकि मेरे पास वह ग्रामोफोन आज भी है, लेकिन अब वह केवल घर की सजावट बनकर रह गया है। उस समय का संगीत केवल कानों तक नहीं, दिल तक पहुंचता था। उसे सुनने की पूरी प्रक्रिया में एक अलग ही आनंद था, जो अब की तकनीकी सहजता में शायद ही महसूस होता है।
रेडियो का दौर: सामूहिक अनुभव का जादू
ग्रामोफोन के बाद जब रेडियो का दौर आया, तब भी संगीत सुनना एक रोमांचक अनुभव था। मेरे दोस्त और मैं हर शाम “फरमाइशी” कार्यक्रम सुनने के लिए रेडियो के सामने बैठ जाते थे। अगर हमारा पसंदीदा गीत हमारे नाम के साथ बज जाता, तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता था। रेडियो पर गानों के साथ-साथ प्रस्तुतकर्ताओं की शेर-ओ-शायरी और गीतों के पीछे की कहानियां संगीत के अनुभव को और भी खास बना देती थीं।
रेडियो के इस सामूहिक अनुभव में एक अलग ही जादू था। दोस्तों और परिवार के साथ रेडियो सुनने का आनंद एक सामूहिक उत्सव जैसा होता था। आज के दौर में जब हर किसी के पास अपनी निजी प्लेलिस्ट होती है, वह सामूहिकता कहीं खो गई है।
कैसेट्स और सीडी: अपने संगीत का मालिक होना
रेडियो के बाद जब कैसेट्स और सीडी का दौर आया, तब लोगों के पास यह मौका था कि वे अपने पसंदीदा गानों को रिकॉर्ड करके कहीं भी सुन सकें। उस समय अपने गानों को कैसेट में रिकॉर्ड करवाना और दोस्तों के साथ कैसेट्स का आदान-प्रदान करना एक अनूठा अनुभव था। अपने मर्जी के गानों को चुनने और उन्हें संजोने का वह समय कुछ अलग ही था।
हालांकि कैसेट्स में गाने रिकॉर्ड करना और उन्हें सुनने के लिए रिवाइंड करना थोड़ा झंझटभरा काम था, लेकिन यह प्रक्रिया अपने आप में खास थी। सीडी और डीवीडी ने संगीत को और भी सुलभ बनाया, लेकिन उसके बाद भी वह रोमांच और खुशी बनी रही क्योंकि तब भी संगीत को पाना आसान नहीं था।
डिजिटल युग: सुविधा की कीमत पर
इंटरनेट के आगमन के साथ संगीत की उपलब्धता अचानक से बहुत बढ़ गई। अब न किसी रेडियो स्टेशन के कार्यक्रम का इंतजार करना पड़ता है, न किसी दुकान पर जाकर कैसेट या सीडी खरीदने की जरूरत थी। यूट्यूब और अन्य म्यूजिक एप्स के चलते संगीत बस एक क्लिक की दूरी पर आ गया है। चाहे दुनिया का कोई भी गाना हो, सब कुछ अब आपकी जेब में है।
हालांकि यह सुविधा बहुत मददगार है, लेकिन इसने संगीत के उस पुराने उत्साह को छीन लिया है। अब न किसी गाने का इंतजार है, न उसके पीछे की कहानी को समझने का धैर्य। तकनीक ने संगीत को उपलब्ध तो करवा दिया है, लेकिन उस जुड़ाव को खत्म कर दिया है, जो कभी एक-एक गीत से हुआ करता था। आज के दौर में संगीत पृष्ठभूमि में बजता रहता है, जबकि पहले हर गाना एक खास पल में जिया जाता था।
खो गई है वह मिठास
आज जब मैं अपनी बेटी को मोबाइल एप पर गाने सुनते हुए देखता हूं, तो महसूस होता है कि वह उस अनुभव से वंचित है जो मैंने अपने समय में जिया था। भले ही उसके पास असीमित गानों की लाइब्रेरी है, लेकिन उसमें वह उत्साह और आनंद नहीं है, जो हमने अपने समय में महसूस किया था। ग्रामोफोन से लेकर कैसेट्स तक, हर दौर में संगीत सुनने का एक अलग मजा था, जिसे आज की तकनीक कहीं पीछे छोड़ चुकी है।
तकनीक ने संगीत को हम तक पहुंचाना बेहद आसान बना दिया है, लेकिन इस आसानी में संगीत से मिलने वाली वह मिठास कहीं खो गई है।
संगीत के जादू को फिर से ढूंढने की जरूरत
डिजिटल युग में जहां संगीत अब बेहद सुलभ हो गया है, हमें यह सोचना चाहिए कि क्या हम उस पुराने दौर के संगीत का जादू वापस ला सकते हैं। भले ही हम फिर से ग्रामोफोन या रेडियो के दौर में नहीं जा सकते, लेकिन हम जरूर यह कर सकते हैं कि संगीत को थोड़ा और सम्मान दें, उसे ध्यान से सुनें और उसे केवल एक पृष्ठभूमि के शोर में न बदलने दें।
संगीत महज ध्वनि नहीं, बल्कि एक अनुभव है। आधुनिक तकनीक ने भले ही इसे हर जगह पहुंचा दिया हो, लेकिन वह पुराना रोमांच और संतोष जो कभी था, उसे वापस लाना शायद हमारे ही हाथों में है।
News – Muskan
Edited by – Sanjana Kumari