22.1 C
Ranchi
Thursday, September 19, 2024
Advertisement
HomeNationalJHC में याचिका खारिज, अब स्पीकर के इजलास में होगा बाबूलाल मरांडी...

JHC में याचिका खारिज, अब स्पीकर के इजलास में होगा बाबूलाल मरांडी की विधायकी का फैसला, अगस्त में सुनवाई हो चुकी है पूरी

रांची : झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की ओर से दायर रिट याचिका मंगलवार को झारखंड हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया। श्री मरांडी से संबंधित दल-बदल मामले में स्पीकर के न्यायाधिकरण में नियमानुसार सुनवाई नहीं होने का हवाला देते हुए झारखंड हाईकोर्ट में यह याचिका दाखिल की गई थी. इस मामले में सुनवाई पांच जनवरी को ही पूरी हो गयी थी। दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब यह तय हो गया है कि झारखंड विधानसभा के स्पीकर रवींद्र नाथ महतो के इजलास में ही बाबूलाल मरांडी की विधायकी का फैसला होना है.  

अब गेंद स्पीकर के पाले में
बता दें कि हाईकोर्ट में पूर्व की सुनवाई में विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट व अन्य हाइकोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया था। कहा गया कि स्पीकर के इजलास में जब तक कोई आदेश बाबूलाल मरांडी के मामले में न हो जाये, तब तक हाईकोर्ट इस याचिका को नहीं सुन सकता है। यह याचिका मेंटेनेबल नहीं है, इसलिए इसे खारिज कर देना चाहिए। संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत स्पीकर का इजलास किसी विधायक को डिसक्वालिफाई करने के निर्णय लेने में सक्षम है। हाइकोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह भी कहा गया था कि किसी राजनीतिक दल का विलय करना या न करना यह विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है। अब राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा होने लगी है कि तकनीकी कारणों से स्पीकर उनकी विधायकी समाप्त भी कर सकते हैं. क्योंकि अब गेंद स्पीकर के पाले में है.

30 अगस्त को ही इजलास में पूरी हो चुकी है सुनवाई

दरअसल, भाजपा को शुरू से इस बात की आशंका थी कि स्पीकर के इजलास में बाबूलाल मरांडी को इंसाफ नहीं मिल सकता. इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था. सच कहा जाए तो अब झारखंड में सियासी उठापटक के बीच विधानसभा में उनकी सदस्यता खतरे में नजर आ रही है। क्योंकि दल-बदल मामले में स्पीकर के इजलास में 30 अगस्त को सुनवाई पूरी हो चुकी थी। हाईकोर्ट में पूर्व में हुई सुनवाई में यह दलील पेश की गई थी कि स्पीकर के इजलास में सुनवाई के दौरान पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। इस मामले में उनकी ओर से सुनवाई का बिंदु निर्धारण करते हुए गवाही प्रस्तुत करने के लिए आवेदन दिया था। उन्हें पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया। झाविमो के टिकट पर बाबूलाल मरांडी 2019 में विधानसभा का चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया था।

दल-बदल मामले में विधायकी पर खतरा बरकरार

उल्लेखनीय है कि जेवीएम के नेता दो धड़ों में बंट गया था। तीन विधायक में एक बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हो गए थे। प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में चले गए। इसके बाद पार्टी के विलय को लेकर विवाद शुरू हो गया था। इसी बीच स्पीकर ने दल-बदल के तहत बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी किया था और इस मामले में सुनवाई शुरू कर दी थी। इस संबंध में कुल सात मामले स्पीकर के यहां लंबित है। इसमें चार सत्तापक्ष और तीन भाजपा की ओर से आवेदन दाखिल किया गया है। हालांकि भाजपा की ओर से स्पीकर पर लगातार यह आरोप चस्पां है कि स्पीकर पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। अब अपने इजलास स्पीकर फैसला सुनाने के लिए स्वतंत्र हैं.

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments