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Thursday, September 19, 2024
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दीपोत्सव के अवसर पर सजाई गई लक्ष्मी-गणेश की चैतन्य झांकी

डकरा। ब्रह्माकुमारी गीता पाठशाला सुभाषनगर में दीपावली की तीन दिन पूर्व लक्ष्मी गणेश की चैतन्य झांकी सजाई गई। लक्ष्मी के रूप में बीके परि बहन और गणेश के रूप में बीके वेदांत भाई घंटो बिल्कुल स्वावभाविक रूप और मुद्रा में बैठे रहें। झांकी की विधिवत पूजा व आरती उतारी गई । इस अवसर पर गीता पाठशाला के बीके भाई- बहन उपस्थित होकर सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर दुनिया की सभी आत्माओं की बुझी ज्योति जलाने की शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए बड़े ही श्रद्धा एवं आस्था के साथ दीपावली महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर  ब्रह्माकुमारी गीता पाठशाला के अशोक मंडल भाई व कमल भाई ने उपस्थित सभी भाई-बहनों को आनेवाली दीपावली की शुभकामनाएं दीं और उनको दीपावली के आध्यात्मिक रहस्य बताया। कहा कि प्रकाश सभी को अच्छा लगता है। प्रकाश में हर चीज अपने सही रूप में दिखाई देती है। अंधकार में ठोकर लगने या उसके विकृत रूप में दिखाई देने की भूल हो सकती है । दीपावली भी प्रकाश का पर्व है लेकिन यह अपने भीतर के प्रकाश का प्रतीक है। बाहर का प्रकाश तो हम रोज देखते हैं लेकिन यह पर्व हमें अपने भीतर के जगत के दर्शन करवाता है । जब हम अपने परिश्रम व कर्मठता से संगठित रूप में विश्व के कोने-कोने में दिव्य गुणों का प्रकाश फैलाएंगे तब ही सही मायने में दिवाली मनाएंगे।

  • बुझी आत्मा की ज्योत को जगाना ही सच्ची दीपावली: बीके प्रीति बहन

इस अवसर पर गीता पाठशाला की नियमित बीके प्रीति बहन ने अपने जन्म दिन का केक काट। साथ ही  दीपावली का आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि रावण पर राम की जीत की खुशी में अयोध्या में घर-घर दीप प्रज्वलित कर खुशियां मनाई गई, उसी के यादगार स्वरूप दीपावली आज भी मनाई जाती है। भक्ति मार्ग में कई कथा कहानियों के माध्यम से दीपावली के बारे में चर्चा की गई है, जिसमें असुरों की कैद से जब देवताओं को परमात्मा ने आजाद कराया तो उस खुशी में दीपावली मनाई गई। उन्होंने आध्यात्मिक पक्ष को रखते हुए कहा कि दीपावली वास्तव में 5000 वर्ष पूर्व जब परमपिता परमात्मा धरा पर अवतरित होकर गीती कला एवं अज्ञानता रूपी अंधकार के कैद में फंसी दुनिया को आजाद कर उजाले की ओर ले जाते हैं इस खुशी में द्वापर युग से दीपावली मनाने की प्रथा आरंभ हुई जो आज भी चली आ रही है। यह हर कल्प में होता है उन्होंने कहा कि अपने अंदर की बुझी आत्मा की ज्योत को जगाना ही सच्ची दीपावली है। आत्मा जन्म मरण के चक्कर में आने से मूल्य विहीन हो जाती है जिसे परमात्मा अवतरित होकर सहज राजयोग का अभ्यास कराते हैं तथा ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ाकर आत्मा मे शक्ति भर नई सतयुगी दुनिया में पुरुषार्थ अनुसार पद देते हैं। कहा की परमात्मा के इस महान कार्य का ही यादगार है दीपावली। इस अवसर पर सभी बहन-भाइयों ने सबको इस पर्व की बधाई दी। मौके पर संजय भाई, रामधनी भाई, आदित्य भाई, पिंकी बहन, टिंकी बहन, छाया बहन, अलका बहन, गीता बहन, मुरारी भाई, धनेश्वर भाई, कुलदीप भाई, जोशी बहन सहित अनेकों भाई-बहन शामिल थे।

 

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