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Thursday, September 19, 2024
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बंधु तिर्की ने ईडी की कार्यशैली पर उठाए कई सवाल…ईडी कोर्ट में पुख्ता सबूत पेश करने में विफल रहा…कल सुप्रीम कोर्ट से हेमंत सोरेन को राहत मिलने की उम्मीद जतायी

रांची : पीएमएलए विशेष कोर्ट में गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) निर्वतमान सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ न तो साक्ष्य, न ही मजबूत दस्तावेज या सबूत प्रस्तुत कर सका. जिस प्रकार से एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिये सभी संवैधानिक प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई गई हैं, वह लोकतंत्र के माथे पर कलंक के समान है. पूर्व मंत्री झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य और झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने ईडी की कार्यशैली कई सवाल उठाए हैं. वैसे उन्होंने भरोसा जताया कि कल न केवल रांची बल्कि, सर्वोच्च न्यायालय से भी हेमंत सोरेन को राहत मिलने की संभावना है. उन्होंने कहा कि वे सक्षम न्यायालय का पूरा सम्मान करते हैं. चूंकि यह मामला न्यायिक है, इसलिये इसे बिन्दुवार समझने की जरूरत है.

आखिर क्या है ईडी के आरोप, आइए जानें…

  1. बरियातू बड़गाई स्थित 8.5 डिसमिल ज़मीन अपने नाम करना.
  2. दिल्ली स्थित सरकारी आवास से क़रीब 36 लाख रूपये) एवं कुछ दस्तावेजों का मिलना.

क़ानूनी प्रावधान एवं विशेषज्ञों के तर्क

  1. Prevention of Money Laundering Act (PMLA) एक विशेष क़ानून है.

2.PMLA सिर्फ़ और सिर्फ़ इस क़ानून के अनुसूचित अपराध के उल्लंघन में ही दर्ज किया जा सकता है.

  1. मुख्यमंत्री के विरुद्ध अनुसूचित अपराध की कोई भी धारायें नहीं लगायी गयी हैं ना ही इस केस में अनुसूचित अपराध होने का कोई ज़िक्र है.

4.ना तो निर्वतमान सीएम के नाम से कथित ज़मीन है ना एग्रीमेंट है और ना ही जमाबंदी है.

  1. हेमंत सोरेन के आदेश पर ही अंचल निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद (अब सरकारी गवाह) के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी थी. इसके बाद इडी ने भानु प्रताप प्रसाद एवं अन्य को जेल भेजा गया.
  2. अगर हेमंत सोरेन के उक्त भूमि घोटाला में हाथ होता तो सीएम द्वारा कभी एफआईआर दर्ज नहीं करायी जाती.
  3. यदि एफआईआर दर्ज करायी न जाती तो उसी एफआईआर में ईडी द्वारा CM सोरेन को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए था.
  4. चूंकि हेमंत सोरेन के विरुद्ध ईडी को कुछ नहीं मिला, इसलिये ईडी उनसे उस केस मुतल्लिक पूछताछ तक नहीं की.

6.जहां तक बड़गाईं स्थित जमीन का प्रश्न है तो वो, ज़मीन भुइहरी नेचर की है.

  1. नियम के हिसाब भुइहरी ज़मीन किसी के नाम से ट्रांसफर हो नहीं हो सकता.
  2. भुइहरी ज़मीन के सम्बंध में ना तो सरकार ना ही कोर्ट का कोई अधिकार सन्निहित है.
  3. भुइहरी ज़मीन का मालिक पाहन होता है जो, ज़मीन की रसीद काटता है.
  4. इस प्रकार हेमंत सोरेन द्वारा उस ज़मीन को लेने का प्रश्न ही नहीं उठता है.
  5. ईडी द्वारा कोर्ट में हेमंत सोरेन के नाम से उक्त ज़मीन होने का अबतक कोई प्रमाण नहीं दिखाया जा सका है.
  6. दिल्ली में हेमंत सोरेन के आवास से बरामद नगद रुपयों की की जांच करने का अधिकार ईडी को नहीं है क्योंकि मामला अनुसूचित अपराध की श्रेणी में नही आता है, फिर भी रुपयों को ईडी द्वारा प्लांट करने से इंकार नही किया जा सकता.
  7. हेमंत सोरेन को गिरफ़्तार करने का ईडी के पास कोई अधिकार नहीं था ना ही उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत ईडी के पास है.
  8. सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई निर्णयों में कहा है कि पूछताछ करने के समय ईडी किसी को गिरफ़्तार नहीं कर सकता.
  9. ईडी ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके हेमंत सोरेन को गिरफ़्तार किया है. हालांकि अब यह मामला कल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत कोर्ट में सूचीबद्ध है.

श्री तिर्की ने कहा कि ईडी इडी ने साज़िशन केंद्र के इशारे पर हेमंत सोरेन को फंसा दिया है, पर जिस प्रकार से रांची में आज अदालती बहस के दौरान ईडी अपने मजबूत सबूत और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका,  उससे यह स्पष्ट है कि वह केंद्र के इशारे पर केवल प्रतिरोध की भावना और किसी के अवांछित आदेश पर काम कर रहा है. हमें पूर्ण विश्वास है कि कल सक्षम अदालत से हेमंत सोरेन के पक्ष में निर्णय आ सकता है.

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