रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गलतबयानी कर कानून का दुरुपयोग और अदालत को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. प्रतुल ने प्रदेश मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में मीडिया के सामने दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि एससी-एसटी केस में दिए गए आवेदन में वर्णित किए गए तथ्य और झारखंड हाईकोर्ट में दिए गए आवेदन में भारी अंतर है। पहले तो पूर्व सीएम हेमंत सोरेन इस कैश से किनारा किया, बाद में उसको झामुमो से प्राप्त किया डोनेशन बताते हैं। प्रतुल ने कहा ऐसा करके वह एक्सपोज हो गए हैं। प्रतुल ने कहा कि अब तो इस विषय पर ईडी को और आयकर विभाग को भी जांच करनी चाहिए कि आखिर झामुमो ने इतनी बड़ी राशि किस दिन हेमंत सोरेन को दी थी?
एससी-एसटी मामले में हेमंत सोरेन की बयानबाजी गलत थी, क्योंकि हाईकोर्ट में उन्होंने ठीक इसके उलट बयान दिया
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जब ईडी ने पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के दिल्ली वाले घर में छापे के दौरान 36 लाख रुपए नगद उनके रूम के वार्डरोब से बरामद किया था। तब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को एससी-एसटी थाने में दर्ज एफआईआर में यह स्पष्ट कहा था कि उन्हें मीडिया चैनलों से ये खबर मिल रही है कि उनके घर से बड़ी मात्रा में अवैध पैसा बरामद हुआ है। उन्होंने उस समय स्पष्ट कहा था कि बरामद किया गया गैरकानूनी पैसा उनका नहीं है। ये सिर्फ ईडी के अधिकारियों ने उन्हें सामाजिक रूप से बदनाम करने की नीयत से ऐसा किया है. इसी मुद्दे पर उनके आवेदन पर एससी-एसटी एक्ट का एक फर्जी मुकदमा दर्ज भी हो गया था। दरअसल, जाहिर तौर पर हेमंत सोरेन अपने बचाव में लगातार अपने स्टैंड से पलट रहे हैं और अपने दिए गए बयानों से ही मुकर रहे हैं। श्री शाहदेव ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे WP(Cr) नं. 68/2024 में हेमंत सोरेन ने अपने आवेदन के प्वाइंट नंबर 108 में यू टर्न लेते हुए कहा कि उनके माता-पिता वृद्ध हैं। उनके इलाज के लिए दिल्ली में जरूरत पड़ती है। उन्होंने कैश को किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए रखा था। उन्होंने कहा कि अब यह तो साफ हो गया है कि एससी-एसटी मामले में दिए गए उनका बयान बेबुनियाद था क्योंकि हाईकोर्ट में उन्होंने ठीक इसके उलट बयान दिया है।