वनौषधियों पर आधारित पारंपरिक चिकित्सा पद्धति
गुमला – गुमला जिला के घाघरा प्रखंड के चपका ग्राम पंचायत भवन में वनौषधियों पर आधारित पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से जुड़े आदिवासी वैद्यों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। यह कार्यक्रम शुक्रवार को आयोजित किया गया।
वैद्यों का मूल्यांकन
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया और ट्रांस डिसिप्लिनरी यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु के संयुक्त दल ने फरवरी और मार्च में इन वैद्यों का मूल्यांकन किया था। इस मूल्यांकन में सामान्य बीमारियों, पीलिया, गठिया, हड्डी जोड़ने जैसे मुद्दों पर जड़ी-बूटी आधारित पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का परीक्षण किया गया। परीक्षा पास करने वाले वैद्यों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
प्रमाण पत्र वितरण
पीरामल फाउंडेशन के प्रमोद जायसवाल ने बताया कि यह सर्टिफिकेट पांच वर्षों के लिए मान्य है। इस प्रक्रिया को पीरामल फाउंडेशन ने वित्तीय और तकनीकी सहयोग प्रदान किया। राज्य प्रतिनिधि विशाल कुमार ने जानकारी दी कि गुमला जिले से 27 वैद्य प्रमाणित हुए हैं, जिन्हें प्रमाण पत्र दिए गए।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस मौके पर सियाराम उरांव, आह्लाद लोहरा, बुंदे उरांव, मनी उरांव, करमचंद उरांव, श्रवण कुमार माझी, सानिया उरांव, विशाल कुमार, परिक्षित मुंडा, संजीत एक्का और रजनी किस्कू सहित कई लोग उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के महत्व को बढ़ावा देना और वैद्यों को मान्यता प्रदान करना था।
News – गनपत लाल चौरसिया
Edited by- संजना कुमारी