गुमला – सिसई प्रखंड के कुंडुख (उरांव) भाषा संरक्षण समन्वय समिति झारखंड के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। समिति ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा, जिसमें प्रदेश के विद्यालयों में कुंडुख भाषा के पद सृजन को निरस्त करने और पांचवी अनुसूची क्षेत्र के सभी स्कूलों में आदिवासी भाषाओं के आधार पर पद सृजन करने की मांग की गई।
कुंडुख भाषा संरक्षण की मांग
समिति के अध्यक्ष अरविंद उरांव और सचिव संजीव भगत ने ज्ञापन में कहा कि कुंडुख (उरांव) भाषा को विलुप्त होने से बचाने के लिए इसे स्कूलों में पढ़ाया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कुछ स्कूलों में नागपुरी भाषा के पद सृजन कर दिए गए हैं, जो कि कुंडुख भाषा के लिए हानिकारक है। यह कदम कुंडुख भाषा को प्रोत्साहन देने के बजाय उसे मिटाने की साजिश है। ज्ञापन में इस निर्णय को बदलने और कुंडुख, खड़िया, मुंडारी, हो और संथाली भाषाओं के आधार पर पद सृजन करने की मांग की गई।
मुख्यमंत्री का आश्वासन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने समिति के ज्ञापन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और मुख्य सचिव से इस मुद्दे पर सार्थक पहल करने का आश्वासन दिया। इस मुलाकात में मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की, गुमला विधायक भूषण तिर्की, सिसई विधायक जिग्गा सुसारन होरो, और अन्य प्रमुख सदस्य भी उपस्थित थे।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्य
प्रतिनिधिमंडल में सुशील उरांव, मनोज कुमार भगत, ज्योति कुज्जुर, जितेश मिंज, नीतू साक्षी टोप्पो, पंकज उरांव, संजय कच्छप, जतरु उरांव, और संतोष उरांव शामिल थे। इन सभी ने कुंडुख भाषा के संरक्षण के लिए अपने समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया।
News – गनपत लाल चौरसिया