20 लाख 65 हजार रुपये के जुर्माने की वसूली की गई, झारखंड के निजी क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों में से दो तिहाई बाहरी
रांची : निजी क्षेत्रों में 75 फीसदी स्थानीय को बहाल करने संबंधी लाये गये कानून के प्रावधानों की अनदेखी करने पर हेमंत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. निजी क्षेत्र में स्थानीय को नौकरी नहीं देने के मामले में निजी क्षेत्र की 3909 कंपनियों और प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजा है. इसके अलावा 20 लाख 65 हजार रुपये के जुर्माना की वसूली भी की गई है. वर्तमान में राज्यभर में 7,083 नियोजक निबंधित हैं. इन्होंने अब तक 11,106 स्थानीय को ही नौकरी दी है. झारखंड के निजी क्षेत्रों में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021 एवं नियमावली, 2022 संपूर्ण राज्य में 12 सितंबर 2022 से प्रभावी है. इसके बावजूद निजी कंपनियों की राज्य सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा दिया है.
कंपनियों के नोटिस के जवाब का सरकार को है इंतजार
सरकारी प्रावधानों के अनुसार किसी भी निजी कंपनियों, दुकानो व अन्य प्रतिष्ठानों में जहां 10 से ज्यादा लोग कार्यरत हैं, उन्हें इस कानून का पालन करना होगा. कंपनियों में स्थानीय लोगों की बहाली सुनिश्चित हो, इसके लिए विभाग की ओर से एक पोर्टल भी बनाया गया है. पोर्टल पर कंपनियों को अपने कर्मियों का पूरा ब्योरा देना है. कर्मियों को स्थानीय प्रमाणपत्र भी पोर्टल पर उपलब्ध कराना है. श्रम विभाग की ओर से सितंबर 2021 में राज्य सरकार ने निजी क्षेत्रों में 75 फीसदी स्थानीय को बहाल करने संबंधी लाये गये कानून के प्रावधानों लागू कराने के लिए कार्रवाई शुरू की है. इस कानून के मुताबिक निजी क्षेत्र की कंपनियों-प्रतिष्ठानों में 40 हजार तक के वेतन पर काम कर रहे कर्मियों में 75 प्रतिशत स्थानीय होने चाहिए. बता दें कि झारखंड के निजी क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों में से दो तिहाई बाहरी हैं. मात्र एक तिहाई लोग ही स्थानीय लोग कार्यरत हैं. इसके अलावा राज्य की विभिन्न कंपनियों काम कर रहे 1,84,268 कर्मचारी दूसरी जगहों से हैं. इस कटेगरी में दूसरे राज्यों के पुरुष कर्मचारी 1,60,458 और महिला कर्मचारियों की संख्या 23,003 है. हालांकि इस मामले में कंपनियों को अब नोटिस जारी हुआ है. देखना है क्या दलील दी जाती है.