रांची : झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य में जल्द से जल्द पेसा कानून लागू करने का आग्रह किया है। विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर शुक्रवार को बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में बतौर मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि जानजातीय समुदाय की पारंपरिक शासन-व्यवस्था की मजबूती के लिए राज्य में पेसा कानून लागू किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में देश में झारखंड एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पेसा कानून लागू नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि आदिवासी समुदाय में दहेज प्रथा जैसी चीजें नहीं है। लेकिन विडंबना यह है कि जनजातीय समाज में डायन प्रथा जैसी कुरीतियां विद्यमान है। भाषण की शुरुआत राज्यपाल संतोष गंगवार ने राउरे मन के जोहार के साथ अपना संबोधन शुरू किया। राज्यपाल ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। मैं पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता हूं कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
‘आखिर अबतक पीईएसए कानून लागू क्यों नहीं हुआ?’
उन्होंने कहा कि झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता में आबादी समुदाय का 27 प्रतिशत हिस्सा है। 32 प्रकार की अनुसूचित जातियां यहां निवासा करती हैं। जिनमें 8 जातियां पीवीटीजी है। हालांकि आज आदिवासी समुदाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हमारे आदिवासी भाई-बहनों को सरकार द्वारा चलाई जा रही है कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे. इतिहास इस बात का गवाह है कि हमारे आदिवासी समाज के लोगों ने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की है। देश की राष्ट्रपति और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विषम परिस्थिति में शिक्षा ग्रहण की और वो अपने गांव की पहली महिला बनी जिन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया। ये सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। जानजातीय समुदाय की पारंपरिक शासन-व्यवस्था को राज्य में लागू किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में देश में झारखंड एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पीईएसए कानून लागू नहीं है। मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे जल्द ही इसे राज्य में लागू कराएं।