रांची – झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। सभी प्रमुख राजनीतिक दल, जैसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), और अन्य क्षेत्रीय पार्टियाँ, मतदाताओं को लुभाने के लिए जुट गए हैं। राज्य में राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है, और सभी दल अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए रैलियों, जनसभाओं और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं।
भाजपा की रणनीति
भाजपा, जो राज्य में अपने आधार को और मजबूत करना चाहती है, कई स्तरों पर सक्रिय है। पार्टी के प्रमुख नेता राज्य भर में रैलियाँ कर रहे हैं। पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को सामने रखकर विकास के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के बड़े नेता नियमित रूप से राज्य का दौरा कर रहे हैं और जनता से संपर्क साध रहे हैं। भाजपा का मुख्य फोकस आदिवासी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना और सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाना है।
झामुमो और कांग्रेस की चुनौती
दूसरी ओर, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस गठबंधन मिलकर राज्य में सत्ता बरकरार रखने के लिए कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में झामुमो राज्य की जनता से अपने शासनकाल की उपलब्धियों का हवाला देते हुए समर्थन मांग रही है। विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी का मजबूत जनाधार है, जिसे वे और भी मजबूत करना चाहती हैं। वहीं कांग्रेस भी अपने राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है।
अन्य क्षेत्रीय दलों की सक्रियता
आम आदमी पार्टी (आप), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), jkbss और अन्य छोटे दल भी इस चुनाव में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। ये दल राज्य के विभिन्न मुद्दों, जैसे बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, और शिक्षा में सुधार को लेकर जनता से संपर्क कर रहे हैं। इन दलों का उद्देश्य झारखंड के क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों का लाभ उठाना है।
चुनाव की दिशा
राज्य में मतदाताओं के बीच बड़े मुद्दों पर चर्चाएँ हो रही हैं, जिनमें रोजगार, कृषि, और सामाजिक न्याय प्रमुख हैं। राजनीतिक दलों के बीच कड़ी टक्कर की संभावना है, और आगामी चुनावों में कौन बाज़ी मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।