विनोबा भावे विश्वविद्यालय (VBU) के स्नातकोत्तर विभाग में पांच वरिष्ठ प्राध्यापकों का एक साथ स्थानांतरण हाल के दिनों में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नवलेश सिंह ने इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण और आश्चर्यजनक करार दिया है। उनका कहना है कि यह स्थानांतरण विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे विद्यार्थियों और शोधार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।
वरिष्ठ प्राध्यापकों का स्थानांतरण: एक नजर
VBU के जिन पांच वरिष्ठ प्राध्यापकों का स्थानांतरण हुआ है, वे विश्वविद्यालय के विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में लंबे समय से सेवाएं दे रहे थे। इन प्राध्यापकों में शामिल हैं:
- डॉ. सुबोध सिंह शिवगीत (हिंदी विभाग)
- डॉ. के. के. गुप्ता (हिंदी विभाग)
- डॉ. शुक्कल्याण मोइत्रा (पॉलिटिकल साइंस विभाग)
- डॉ. विकास कुमार (इतिहास विभाग)
- प्रो. गंगा नंद झा (मानव विज्ञान विभाग)
इन सभी का स्थानांतरण एक साथ करने के फैसले से विश्वविद्यालय में पठन-पाठन की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। नवलेश सिंह ने कहा कि यह कदम उन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है जो इन प्राध्यापकों के मार्गदर्शन में अपनी शिक्षा और शोधकार्य कर रहे थे।
शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ सकता है असर
ABVP का मानना है कि ये प्राध्यापक अपने-अपने विषयों के मर्मज्ञ हैं और उनके स्थानांतरण से विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन शिक्षकों की विद्वता और अनुभव का लाभ विद्यार्थियों को वर्षों से मिल रहा था। नवलेश सिंह ने कहा, “ये प्राध्यापक कर्मठ और कर्तव्यनिष्ठ थे, जो न केवल विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा दे रहे थे, बल्कि शोध कार्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे थे।”
उनका यह भी मानना है कि ऐसे वरिष्ठ शिक्षकों का एक साथ स्थानांतरण करने से पठन-पाठन की प्रक्रिया में एक बड़ा अंतर पैदा हो सकता है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा।
राज्यपाल और कुलपति से हस्तक्षेप की मांग
ABVP ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही एक राज्यस्तरीय प्रतिनिधिमंडल तैयार करने की घोषणा की है, जो राज्यपाल से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करेगा। नवलेश सिंह ने कहा कि ABVP इस स्थानांतरण को रोकने के लिए राज्यपाल से अपील करेगी, ताकि विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण प्रभावित न हो। साथ ही, ABVP के प्रतिनिधिमंडल द्वारा विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति से भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।
नवलेश सिंह ने कहा, “हम चाहते हैं कि कुलपति महोदय अपने स्तर से इस स्थानांतरण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि विद्यार्थियों को किसी प्रकार की शैक्षणिक हानि न हो।”
उच्च शिक्षा पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव
VBU के स्नातकोत्तर विभाग में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए यह स्थानांतरण एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। ABVP का कहना है कि उच्च शिक्षा के इस स्तर पर, जब विद्यार्थियों को अनुभवी और विशेषज्ञ शिक्षकों की सबसे अधिक जरूरत होती है, ऐसे में इन प्राध्यापकों का स्थानांतरण विद्यार्थियों के अकादमिक करियर पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
विवि के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति
विनोबा भावे विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सुधार और विकास की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। प्राध्यापकों का एक साथ स्थानांतरण न केवल प्रशासन के लिए एक चुनौतीपूर्ण निर्णय है, बल्कि यह विद्यार्थियों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन को अब यह तय करना होगा कि वे इस स्थानांतरण से उत्पन्न स्थिति को कैसे संभालेंगे और विद्यार्थियों की शैक्षणिक जरूरतों को कैसे पूरा करेंगे।
क्या हो सकता है समाधान?
ABVP ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इस मामले को उच्च स्तर पर ले जाएंगे। राज्यपाल और कुलपति से मिलकर वे इस स्थानांतरण के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करेंगे। अगर यह स्थानांतरण रद्द नहीं किया गया, तो यह विश्वविद्यालय की शैक्षणिक स्थिति के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।
इसके साथ ही, नवलेश सिंह ने यह भी संकेत दिया है कि ABVP इस मुद्दे पर विद्यार्थियों के साथ मिलकर आंदोलन करने के लिए भी तैयार है, ताकि उनकी आवाज़ को सुना जा सके और इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जा सके।
विवि के शैक्षणिक भविष्य के लिए चुनौती
VBU के इन पांच वरिष्ठ प्राध्यापकों का स्थानांतरण न केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रगति के लिए भी एक गंभीर मुद्दा बन गया है। ABVP के इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाने से यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा जल्द ही उच्च स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है।
अब यह देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्यपाल इस मुद्दे को कैसे हल करते हैं, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई और शोध कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आए।
News – Vijay Chaudhary.
Edited by – Sanjana Kumari