अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने गुमला में झारखंड स्थापना दिवस और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया। इस अवसर पर बिरसा मुंडा एग्रो पार्क स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। साथ ही, संगोष्ठी के माध्यम से बिरसा मुंडा के जीवन और उनके योगदान को याद किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों और स्थानीय कॉलेज इकाई के कार्यकर्ताओं ने उनकी शिक्षाओं और आदर्शों पर प्रकाश डाला। यह आयोजन न केवल भगवान बिरसा मुंडा की स्मृतियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास था, बल्कि वर्तमान पीढ़ी को उनके विचारों से प्रेरणा लेने का भी एक प्रयास था।
भगवान बिरसा मुंडा: एक क्रांतिकारी जननायक
भगवान बिरसा मुंडा, जिन्हें धरती आबा के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। उन्होंने उन्नीसवीं सदी के अंत में आदिवासी समाज को संगठित कर उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया।
उनके प्रमुख योगदान:
- ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष: बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश प्रशासन के अत्याचारों का डटकर विरोध किया।
- धार्मिक और सामाजिक सुधार: उन्होंने आदिवासी समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए काम किया।
- जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा: बिरसा ने आदिवासियों को उनके पारंपरिक संसाधनों के अधिकार के लिए संघर्ष करना सिखाया।
उनकी शिक्षाओं ने न केवल आदिवासी समाज को संगठित किया, बल्कि एक मजबूत सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन की नींव भी रखी।
एबीवीपी के कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
गुमला के बिरसा मुंडा एग्रो पार्क में एबीवीपी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रांतीय और स्थानीय स्तर के नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए।
प्रतिमा पर माल्यार्पण
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। सभी उपस्थित सदस्यों ने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लिया।
संगोष्ठी का आयोजन
कार्यक्रम में संगोष्ठी के माध्यम से भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और उनकी विरासत पर चर्चा की गई।
- प्रादेशिक विश्वविद्यालय संयोजक कुणाल शर्मा ने बिरसा मुंडा को उन्नीसवीं सदी का समाज सुधारक और स्वामी विवेकानंद जैसा व्यक्तित्व बताया।
- विभाग संयोजक सुमंत कुमार साहू ने बिरसा मुंडा की क्रांतिकारी सोच और उनकी सामाजिक चेतना पर प्रकाश डाला।
छात्रों और युवाओं की भागीदारी
कार्यक्रम में स्थानीय कॉलेज इकाई के पदाधिकारियों और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
- कॉलेज इकाई अध्यक्ष ज्योतिष कुमार राम और मंत्री खुश बहाल महतो ने बिरसा मुंडा के आदर्शों को युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
- एनएसएस प्रमुख सोनाली केशरी और एनसीसी प्रमुख सरोजनाग ने युवाओं को उनके विचारों पर चलने और समाज सुधार में योगदान देने का आह्वान किया।
छात्रों का उत्साह
इस आयोजन में छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रमों और चर्चाओं के माध्यम से बिरसा मुंडा की जयंती को खास बनाया।
जनजातीय गौरव दिवस का महत्व
जनजातीय गौरव दिवस न केवल एक स्मरणोत्सव है, बल्कि यह आदिवासी समाज की समृद्ध परंपरा और संघर्ष को सम्मान देने का एक प्रयास है।
भविष्य के लिए प्रेरणा
भगवान बिरसा मुंडा ने यह सिखाया कि संघर्ष और संगठन के माध्यम से किसी भी अन्याय का मुकाबला किया जा सकता है। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज में प्रासंगिक हैं।
झारखंड स्थापना दिवस के साथ सामंजस्य
झारखंड स्थापना दिवस और जनजातीय गौरव दिवस को एक साथ मनाना राज्य के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। यह राज्य के गौरवशाली इतिहास और उसके भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
बिरसा मुंडा के आदर्शों का अनुसरण करें
भगवान बिरसा मुंडा का जीवन समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक है। उनके आदर्श न केवल आदिवासी समाज, बल्कि हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का यह आयोजन उनके विचारों और शिक्षाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए, हम सभी उनके बताए रास्ते पर चलें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।