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Monday, April 21, 2025
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गाँव में मशरूम खेती और मधुमक्खी पालन से आत्मनिर्भरता की पहल

गुमला – गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के मनातु गाँव में जिला वन विभाग, जीएमकेएस ट्रस्ट और स्वयंसेवी संस्था प्रदान के सहयोग से सोमवार को एक नई शुरुआत की गई। इस पहल में मशरूम खेती और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देते हुए 50 किसानों को मशरूम के बैग और 25 किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए किट वितरित किए गए। इसका उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी आय में वृद्धि करना है।


कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य

1. ग्रामीण किसानों की आत्मनिर्भरता:

  • मशरूम खेती और मधुमक्खी पालन ग्रामीण किसानों को अतिरिक्त आय का साधन उपलब्ध कराने का प्रभावी तरीका है।
  • इस पहल के जरिए किसान अपनी खेती के साथ-साथ इन गतिविधियों से अर्थिक मजबूती पा सकेंगे।

2. प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग:

  • मधुमक्खी पालन और मशरूम खेती पर्यावरण के अनुकूल हैं और स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हैं।
  • इन गतिविधियों के जरिए ग्रामीण समुदायों को स्थायी विकास का मार्ग दिखाया जा रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य बिंदु

1. मशरूम खेती की शुरुआत:

  • 50 किसानों को प्रति किसान 45 बैग मशरूम वितरित किए गए।
  • रेंज फॉरेस्ट अधिकारी बिरसा लोहरा और फोरेस्टर शेखर सिंह ने किसानों को मशरूम खेती के महत्व और इसकी तकनीकों के बारे में बताया।

2. मधुमक्खी पालन के लिए किट वितरण:

  • 25 किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए विशेष कीट दिए गए।
  • किसानों को सिखाया गया कि कैसे वे शुद्ध शहद का उत्पादन कर सकते हैं और उसे बाजार में बेच सकते हैं।

3. बाजार व्यवस्था पर जानकारी:

  • एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के प्रतिनिधियों ने किसानों को समझाया कि मशरूम और मधु को बाजार तक कैसे पहुँचाया जाए।
  • उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखते हुए अधिक मूल्य प्राप्त करने के तरीके बताए गए।

मशरूम खेती और मधुमक्खी पालन के फायदे

1. मशरूम खेती के फायदे:

  • मशरूम एक पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ है, जिसे बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है।
  • यह खेती कम जगह और न्यूनतम संसाधनों में की जा सकती है।

2. मधुमक्खी पालन के फायदे:

  • शहद उत्पादन एक लाभकारी व्यवसाय है, जो स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग में है।
  • मधुमक्खी पालन से परागण में सुधार होता है, जिससे अन्य फसलों की उत्पादकता बढ़ती है।

कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि

  • रेंज फॉरेस्ट अधिकारी बिरसा लोहरा ने कहा, “यह पहल किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाली है। मशरूम और शहद की मांग हमेशा बनी रहती है, और यह उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा।”
  • फोरेस्टर शेखर सिंह ने किसानों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करने का आश्वासन दिया।
  • कार्यक्रम में जीतेन्द्र कुमार यादव, रोशन कुमार दुबे, और जोयदीप देव ने भी किसानों का उत्साहवर्धन किया।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

1. उत्साह और सकारात्मकता:

  • किसानों ने इस पहल के प्रति अपना उत्साह व्यक्त किया और कहा कि यह उनके लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा।
  • एक किसान ने कहा, “मशरूम और शहद के उत्पादन से हमें अपनी आय बढ़ाने का मौका मिलेगा। यह पहल हमारे भविष्य के लिए आशाजनक है।”

2. ज्ञानवर्धन:

  • किसानों को प्रशिक्षण के माध्यम से आधुनिक तकनीकों का उपयोग सिखाया गया, जिससे वे इन गतिविधियों को सफलतापूर्वक संचालित कर सकें।

भविष्य की योजना

1. निरंतर समर्थन:

  • जिला वन विभाग और जीएमकेएस ट्रस्ट किसानों को निरंतर तकनीकी सहायता और बाजार से जोड़ने का काम करेगा।
  • स्वयंसेवी संस्था प्रदान नियमित रूप से किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करेगी।

2. उत्पादन और विपणन का विस्तार:

  • उत्पादित मशरूम और शहद को स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुँचाने की योजना बनाई गई है।
  • किसानों को संगठित बाजार मॉडल में शामिल कर उनकी आय में स्थिरता लाने की कोशिश की जाएगी।

ग्रामीण विकास की ओर एक कदम

मनातु गाँव में मशरूम खेती और मधुमक्खी पालन की शुरुआत ग्रामीण समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जाएगा। ऐसी पहलें ग्रामीण विकास के लिए एक सशक्त माध्यम बन सकती हैं।

आइए, हम सब मिलकर इन प्रयासों को सफल बनाएं और एक सशक्त, आत्मनिर्भर समाज का निर्माण करें।

न्यूज़ – गनपत लाल चौरसिया 

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