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Wednesday, December 18, 2024
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भीड़ से अलग रहें: प्रोफेसर सहाय ने विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों और मौलिक दृष्टिकोण की सीख दी

झारखंड के विभावि राजनीति विज्ञान विभाग में आयोजित व्याख्यान माला में रांची विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर प्रकाश सहाय ने विद्यार्थियों को प्रेरणादायक शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “शिक्षा का असली उद्देश्य हृदय को जागृत करना होना चाहिए।” जब हृदय जागृत होता है, तो मानवीय मूल्य जैसे दया, प्रेम, और करुणा का विकास होता है।

प्रोफेसर सहाय का संदेश:

“यदि आपके अंदर दया, प्रेम, और करुणा जाग गई है, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।”

इस व्याख्यान में उन्होंने विद्यार्थियों से किसी भी विषय को देखने के लिए मौलिक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।


भीड़ का हिस्सा न बनें, भीड़ से अलग रहें

प्रोफेसर सहाय ने विद्यार्थियों को तोतारटंत बनने से बचने और गहन सोच विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि किसी को खुश करने या राजनीतिक लाभ के लिए गलत बातें दोहराना आपके पतन का कारण बन सकता है।

भ्रष्टाचार का नया दृष्टिकोण:
उन्होंने भ्रष्टाचार के बारे में एक व्यापक दृष्टिकोण दिया।

“आज भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ केवल आर्थिक भ्रष्टाचार तक सीमित हो गया है, लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक भ्रष्टाचार अधिक खतरनाक है।”

परिवारों का टूटना और वृद्धाश्रमों की स्थापना को उन्होंने सांस्कृतिक भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया।


संगीत और साहित्य: शिक्षा के अभिन्न अंग

प्रोफेसर सहाय ने विद्यार्थियों को संगीत और साहित्य का अध्ययन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा:

“संगीत और साहित्य के बिना शिक्षा अधूरी है। यह न केवल शिक्षा को आकर्षक बनाता है बल्कि व्यक्ति के चरित्र को भी समृद्ध करता है।”

उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में साहित्य और संगीत की कमी को सुधारने की आवश्यकता बताई।


शिक्षा का मौलिक दृष्टिकोण: कब, क्यों और कैसे

विद्यार्थियों को अध्ययन के प्रति गहरी रुचि विकसित करने के लिए उन्होंने कहा कि किसी विषय के कब, क्यों और कैसे को समझना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा:

“भीड़ का हिस्सा न बनें, बल्कि भीड़ से अलग रहें।”

अपने विचारों को मजबूती देने के लिए उन्होंने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। हजारीबाग की उपायुक्त श्रीमती नैंसी सहाय (उनकी बेटी) के IAS परीक्षा की तैयारी की कहानी ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया।


गीतों और साहित्य के माध्यम से प्रेरणा

व्याख्यान के अंत में प्रोफेसर सहाय ने विभिन्न गीतों की पंक्तियां गाकर विद्यार्थियों को प्रेरित किया। यह अनूठा प्रयास उनके विचारों को सशक्त और रोचक बनाने में सहायक रहा। विद्यार्थियों ने तालियों के साथ उनके व्याख्यान की सराहना की।


कार्यक्रम के अन्य मुख्य आकर्षण

इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित हुआ।

  • पुस्तक भेंट: प्रोफेसर सहाय को डॉ प्रमोद कुमार के दादा, स्वर्गीय बाबू राम नारायण सिंह द्वारा लिखित पुस्तक भेंट की गई।
  • शामिल अतिथि: मानव विज्ञान विभाग के डॉ विनोद रंजन, शिक्षा शास्त्र विभाग के डॉ मृत्युंजय प्रसाद, और अन्य प्रमुख शिक्षाविद।
  • संचालन और धन्यवाद ज्ञापन: कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रमोद कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजय बहादुर सिंह ने दिया।

शिक्षा के माध्यम से समाज सुधार

प्रोफेसर सहाय का यह व्याख्यान छात्रों को जीवन में सही दिशा देने और शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों को समझाने में सफल रहा। मानवीय मूल्यों, साहित्य, संगीत, और मौलिक दृष्टिकोण को अपनाने का उनका संदेश आज की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने में मददगार हो सकता है।

कॉल टू एक्शन:
विद्यार्थियों से अपील है कि वे शिक्षा को केवल अंकों तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने व्यक्तित्व और समाज सुधार का माध्यम बनाएं।

News – Vijay Chaudhary

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