रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम के तीन महीने हो गए। इस दौरान राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर तो नहीं हुआ और न इसकी कोई संभावना है। लेकिन कुछ माननीय जो अब पूर्व हो गए हैं, उनके हाव-भाव बदल गए हैं। वह अब जमीन पर दिख रहे हैं। चुनाव परिणाम आने के पहले तक आसमान में उड़ रहे थे। धरती नहीं दिखती थी।
ऐसे माननीय लोगों को जनता ने औकात बता दी और अब धरातल पर आ चुके हैं। तीन महीने की राजनीति में मैंने यही बदलाव महसूस किया है. सोचा इस बदलाव के संबंध में आपको भी बताऊं। शायद आप भी मेरे जैसा ही सोच रहे होंगे. जनता की ताकत क्या होती है, यह देखने को मिल गया है।
चुनाव हारने के बाद कई पूर्व माननीय विधायकों को अब जनता खूब याद आ रही है. क्षेत्र में अभी से ही सक्रिय दिख रहे हैं. गांवों में घूम रहे हैं। शादी-ब्याह, मरनी की सूचना पर दूर देहात गांव में पहुंच जा रहे हैं। एक दिन में कई गांवों का दौरा। राह चलते लोगों से हालचाल पूछना। अपनापन का एहसास करना नहीं भूल रहे हैं. यह भी कहते हैं कि आपने मुझे हरा दिया, फिर भी मैं आपके बीच हूं। सुख-दुख में साथ रहेंगे। नेताजी बिना बुलाए भी घर पहुंच जा रहे हैं. यानि जनता-जनार्दन के सामने नतमस्तक। नेता जी अब जमीन पर हैं। फुर्सत में हैं।
चुनाव हारने के बाद जो माननीय अब जमीन पर दिख रहे हैं, वहीं विधायक व मंत्री रहते आसमान पर थे। लोगों से मिलना-जुलना कम कर दिया था। फोन नहीं उठाते थे। निमंत्रण दिए जाने के बाद भी नहीं आते थे। बाहरी, दलालों, ठेकेदारों व ताकतवर लोगों से घिरे रहते थे। अपने लोगों से मिलने की फुर्सत नहीं रहती थी। अपने क्षेत्र से गुजरते थे तो गाड़ी की स्पीड बढ़ जाती थी। काला शीशा चढ़ा लेते ताकि कोई देखे नहीं। जब तक जनता की नजर पड़ती नेताजी निकल गए होते थे। अब नेताजी की गाड़ी हर जगह रुक जा रही है। लोगों से मिलजुल कर ही जा रहे हैं।
नेताजी के हावभाव देखकर जनता भी हतप्रभ है। कहती है, विधायक रहते यही व्यवहार रहता तो ऐसी नौबत नहीं आती। बहरहाल नेताजी अब औकात में हैं। पांच साल बाद जनता फिर मौका दे, इसलिए जनता-जनार्दन के सामने अभी से ही नतमस्तक नजर आ रहे हैं।
।। जय हो जनता-जनार्दन की…!