लक्ष्मीनारायण सिंह मुंडा
रांची : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका गए तब, उनका गर्मजोशी से स्वागत नहीं किया गया. एयर पोर्ट लेने स्वयं ट्रंप नहीं आए. खैर गौर करनेवाली बात है ये है कि जबसे प्रधानमंत्री अमेरिका से लौटे हैं. भारत में विपक्ष हमलावर हैं. ये मौका स्वयं पीएम ने दिया है. आजकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे ज्यादा किसी व्यक्ति ने यदि नींद हराम कर रखी है, तो वो शख्स है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे.ट्रम्प (मोदी के शब्दों में दोलाल्ड ट्रम्प)?
डोनाल्ड ट्रम्प का व्यवहार नरेंद्र मोदी के प्रति यूं ही नहीं बदला हुआ है, इसके लिए बस थोड़ा सा पीछे जाना होगा। जब उस समय के राष्ट्रपति बाइडेन थे। नरेंद्र मोदी जब बाइडेन से मिलने गये थे, तो एक अजीब सी परिस्थिति पैदा हो गई थी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका में बाइडेन से मिल रहे थे, लगभग उसी समय डोनाल्ड ट्रम्प ने मीडिया में जाकर यह बयान दे दिया कि मेरा जिगरी दोस्त मोदी आया है और वो मुझसे मिलने अवश्य आयेगा?
अब मोदी ठहरे अति अवसरवादी व्यक्ति? उस समय राष्ट्रपति चुनाव भी नहीं हुए थे, मगर वहां का मीडिया कमला हैरिस को ऊपर बता रहा था। मोदी ने सोचा कि जब कमला हैरिस ही जीत रही है तो बेकार में ट्रम्प के पास जाकर अपना समय क्यों बर्बाद करुं?
ट्रम्प को मोदी से ऐसे व्यवहार की कतई उम्मीद नहीं थी
लिहाजा मोदी ने इस बात की परवाह भी नहीं की कि डोनाल्ड ट्रम्प ने मीडिया में उनसे मिलकर जाने का बयान पहले ही दे रखा है। मोदी ट्रम्प को धोखा देकर अमेरिका से यों ही निकल आए।
अब मोदी तो ट्रम्प की भरपूर बेइज्जती करके आ गए, उसके बाद तो ट्रम्प की वहां का मीडिया और अपोजिशन वालों ने ऐसा धोया कि ट्रम्प बेहद अपमानित हो गए।
ट्रम्प को मोदी से इस तरह के व्यवहार की कतई आशा नहीं थी, मोदी के इस विश्वासघात से ट्रम्प न केवल भरपूर बेइज्जती हुई, बल्कि अंदर ही अंदर टूट भी गए।
अब इसे मोदी की फूटी किस्मत बोले या भारत के बुरे दिन? कहां मोदी कमला हैरिस पर दांव लगाकर खेल रहे थे लेकिन राष्ट्रपति बनकर आ गये एक बार फिर डोनाल्ड ट्रम्प ?
मोदी के लिए ये किसी बुरे सपने से कम नहीं था। उन्हें भी समझ नहीं आ रहा था कि जिस ट्रम्प को वो फूंका हुआ कारतूस समझ कर फेंक आये थे वो तो परमाणु बम निकल आया ?
बस यहीं से मोदी के दिन खराब होना शुरु हो गये। बेइज्जती से भरे ट्रम्प ने आते ही सबसे पहला काम यह किया कि मोदी को शपथ ग्रहण समारोह में खास तौर पर उन्हें नहीं बुलाने का निर्णय लिया, जबकि भारत के शत्रु देश चीन को महज चिढ़ाने की खातिर निमंत्रण भेजा गया।
ट्रंप रहम के नहीं, बल्कि एक्शन के मूड में
मोदी को भी शायद यह इल्म था, इसीलिए उन्होंने निमंत्रण पत्र प्राप्ति के लिए अपने विदेश मंत्री तक को दांव पर लगा दिया। वो बेचारे निमंत्रण पत्र प्राप्ति के लिए पूरे एक सप्ताह तक अमेरिका में डेरा डालकर और डोनाल्ड ट्रम्प का मान-मनौव्वल करते रहे। पर तब तक दाल पकी नहीं, बल्कि जल भी चुकी थी।
अब तक गेंद मोदी के पाले से जा चुकी थी, जो डोनाल्ड ट्रम्प, मोदी के अब तक गीत गाता आया था, वह मोदी के अवसरवादी व्यवहार के चलते बदल चुका था। अब वह मोदी के लिए रहम के मूड में नहीं बल्कि एक्शन के मूड में था। यही कारण है कि ट्रम्प अब मोदी से उस बेइज्जती का बदला चुन-चुनकर ले रहा है।
सबसे पहले उसने मोदी को शपथ ग्रहण समारोह में न बुलाकर बदला लिया। उसके बाद वह घुसपैठिए भारतीयों को जंजीरों में बांधकर भेजने की तस्वीर पूरे मीडिया जगत में साझा करके भरपूर बेइज्जती की। उसके बाद उसने भारत पर भरपूर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी।
ट्रम्प यहीं नही रुके,उसने अडानी की गिरफ्तारी के लिए भी भारत से सहयोग मांगकर मोदी के लिए सांप-छुछुंदर जैसी स्थिति पैदा कर दी है।
अब ट्रम्प ये कह रहे हैं, कि भारत को 1.8 अरब की वित्तीय सहायता की क्या जरुरत है ? भारत के पास तो बहुत पैसा है ? इसीलिए जो वित्तीय सहायता भारत को अब तक मिलती रही थी, उस पर भी रोक लगाने जा रही है।
इसके अलावा ट्रम्प ने यह भी एलान किया कि भारत जब अपने बाजार में सामान बेचता है तो 28 प्रतिशत तक का टैक्स लगाता है और जब विदेशों में सामान भेजता है तो कोई टैक्स नहीं लगाता है ?
भारतीय कंपनियों के सामान अमेरिका में मंहगे होने का आसार
अब लोग कहेंगे कि ये तो अच्छी बात हुई, अमेरिका में सामान सस्ता मिलेगा ? इसमें ट्रम्प को क्यों आपत्ति हो रही है ? परन्तु अब ट्रम्प कह रहा है कि वो उतना ही टैक्स खुद आयात सामान पर लगायेगा ? ऐसा करते ही भारतीय कंपनियों का सामान अमेरिका में मंहगा हो जायेगा और भारतीय कंपनियों की अमेरिकी कंपनियों के सामने पुंगी बजने लगेगी।
मत भूलिए अमेरिका पूरे विश्व के लिए सबसे बढ़िया बाजार है। कोई भी देश व कोई भी कंपनी अमेरिकी बाजार को हरगिज नहीं खोना चाहेगी।
यह सभी कुछ इसीलिए घटित हुआ कि हमारा नासमझ प्रधानमंत्री मोदी बार-बार गलतियां करता है। पहले मोदी ने “एक बार फिर ट्रम्प सरकार” में भाग लेकर भारत की किरकिरी करवाई. मोदी भक्ति में डूबे अंधभक्तों ने उन्हें खुश करने और ट्रंप की जीत के लिए भारत में कई जगह हवन भी कराये गए. फिर भयंकर कोरोना में नमस्ते ट्रंप करवाया.
ट्रम्प अकेला मोदी से बदला लें, इसमें किसी को कोई एतराज़ नहीं होगा, परन्तु वो मोदी के कारण सम्पूर्ण भारत की बेइज्जती करे, यह हम सभी भारतीयों के लिए एक चिंता का विषय है। जब गैरकानूनी तरीके से अमेरिका पहुंचे भारतीयों को हथकड़ी-जंजीर लगाकर और सिखों को बगैर पगड़ी के अमेरिकी सैन्य विमान से भेजा गया तो, भारत में इसकी तीखी आलोचना हुई थी. तब लोगों को लगा था कि पीएम अमेरिकी दौरे पर यह सवाल जरूर उठाएंगे.
पीएम ट्रंप को इतना भी नहीं कह सके कि कम से कम हथकड़ी-जंजीर जैसे अमानवीय कृत्यों से हमें बाज आना चाहिए. वहीं कंबोडिया और ग्वाटेमाला जैसे छोटे देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने ट्रंप को ऐसा करने से रोका. दोस्ती का दंभ भरनेवाले मोदी चाहते तो दोस्ती का वास्ता देकर उनसे इसपर पुनर्विचार का आग्रह कर सकते थे. खैर, अब ये देखना दिलचस्प होगा कि गौतम अडाणी के केस को लेकर भारत का क्या रुख होता है.
(नोट: ये लेखक के अपने विचार हैं)