गुमला, 30 अप्रैल 2025 — झारखंड के गुमला जिले में सड़कों पर बेखौफ दौड़ते वाहनों ने कुछ ही दिनों में छह जिंदगियों को लील लिया। हाल की तीन अलग-अलग दुर्घटनाओं ने जिले को झकझोर कर रख दिया है — जिनमें एक पूर्व सैनिक, तीन भाई, और दो स्थानीय युवक शामिल हैं। इन घटनाओं ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि तेज रफ्तार, लापरवाही और कमजोर ट्रैफिक व्यवस्था का जिम्मेदार आखिर कौन है?
स्कॉर्पियो की टक्कर से दो युवकों की मौत
सिसई थाना क्षेत्र के छारदा रोड पर सोमवार की रात एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने सड़क किनारे खड़ी बाइक को टक्कर मार दी, जिससे उस पर बैठे जीत वाहन उरांव की मौके पर ही मौत हो गई। दूसरा युवक महतो उरांव गंभीर रूप से घायल हो गया जिसे सिसई रेफरल अस्पताल से रांची रिम्स रेफर किया गया, जहां बुधवार को उसकी भी इलाज के दौरान मौत हो गई।
पुलिस जांच में सामने आया कि दोनों युवक पास की एक केक दुकान से पेस्ट्री लेने आए थे और दुकान बंद होने पर मालिक को बुलाने के लिए इंतजार कर रहे थे। तभी अनियंत्रित स्कॉर्पियो ने उन्हें जोरदार टक्कर मारी और पास की एक इमारत से भी जा टकराई। पुलिस ने जीत वाहन का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा और बाद में परिजनों को सौंपा।
सेमरा जंगल में बाइक की टक्कर से पूर्व सैनिक की मौत
दूसरी घटना पालकोट थाना क्षेत्र के सेमरा जंगल के पास हुई, जहां एक स्कूटी और बाइक की आमने-सामने की टक्कर में सेवानिवृत्त फौजी सुद्धेश्वर राम की मौके पर ही मौत हो गई। उनके साथ बाइक पर सवार उनकी 16 वर्षीय बेटी विमला कुमारी और बहू पूजा देवी सहित कुल चार लोग घायल हो गए।
सुद्धेश्वर राम आधार कार्ड में सुधार कराने के बाद परिवार के साथ गुमला से लौट रहे थे, जब सामने से आ रही एक बाइक से उनकी सीधी भिड़ंत हो गई। उस बाइक पर रामचिक बड़ाइक और उसका बेटा विष्णु सवार थे। पालकोट पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और घायलों को इलाज के लिए भेजा।
रात के सफर में काल बनी अज्ञात गाड़ी, तीन भाइयों की मौत
रविवार की रात गुमला थाना क्षेत्र के खरका चौक के पास एक अज्ञात वाहन की चपेट में आने से तीन युवकों — शिवचरण उरांव, रोहित उरांव और सतीश उरांव — की दर्दनाक मौत हो गई। तीनों भाई अपनी बहन के ससुराल, चांदली गांव, शादी के बाद कुछ सामान पहुंचाने गए थे। वहां खाना खाकर लौटते समय, परिजनों की सलाह के बावजूद रात में ही निकल पड़े और सड़क हादसे का शिकार हो गए।
परिजनों ने बताया कि तीनों युवक चेंगारी और आरंगी झरिया टोली के रहने वाले थे और सभी की उम्र लगभग 18 वर्ष थी।
क्या सड़कें बनीं खुली कब्रगाह?
गुमला में सड़क दुर्घटनाएं अब एक सामान्य खबर बन चुकी हैं। जिले में बस, ट्रक, टेलर, ट्रैक्टर, पिकअप, कार, टेम्पो और बाइक जैसे सभी प्रकार के वाहनों की बेलगाम रफ्तार से आम नागरिकों का जीवन खतरे में है। जिले का प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग बार-बार अभियान चलाने के बावजूद लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं कर पा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेज गति, नशे में ड्राइविंग, नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना और ट्रैफिक नियमों की खुलेआम अनदेखी सड़क हादसों के मुख्य कारण हैं।
एक स्थानीय नागरिक की टिप्पणी थी — “दोषी कौन? क्या मरने वाले लौटकर आएंगे?” यह सवाल अब केवल पीड़ित परिवारों का नहीं, पूरे समाज का है।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया
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