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Tuesday, June 17, 2025
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गुमला में दर्दनाक हादसा: 11 हजार वोल्ट की करंटयुक्त तार से चिपककर प्रधानाचार्य की मौत

घंटों तक जलता रहा शव, पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को नीचे उतरवाया

गुमला, झारखंड — गुमला जिले के सुरसांग थाना अंतर्गत रेगोला गांव में सोमवार की शाम एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जब सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, बीरकेरा के प्रधानाचार्य गजेन्द्र किसान (28) की मेन हाई वोल्टेज तार के संपर्क में आने से मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वे अपने घर की खराब बिजली लाइन को दुरुस्त करने के प्रयास में 11,000 वोल्ट की करंट प्रवाहित तार की चपेट में आ गए।

क्या हुआ, कब और कैसे?
घटना सोमवार शाम करीब 6:15 बजे की है। गजेन्द्र किसान, जो सामाजिक और धार्मिक संगठनों—विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल—से भी जुड़े हुए थे, अपने घर की बिजली समस्या ठीक करने के लिए ट्रांसफार्मर पोल पर चढ़े थे। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बिजली पोल से उनके घर को सप्लाई मिलती थी और उसी में खराबी आने पर वे स्वयं तार सुधारने लगे। इस दौरान वह अनजाने में 11 हजार वोल्ट की करंट प्रवाहित लाइन के संपर्क में आ गए।

घंटों तक चिपका रहा शरीर, धधकती रही आग
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, करंट लगते ही गजेन्द्र का शरीर पोल पर ही चिपक गया और उनके शरीर से धुआं और आग की लपटें उठती रहीं। लोगों ने तुरंत सुरसांग थाना प्रभारी मुकेश प्रसाद टुटु को घटना की सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और बिजली विभाग को लाइन कटवाने के बाद शव को नीचे उतारा गया।

पुलिस कार्रवाई और शव का पोस्टमार्टम
पुलिस ने मृतक का शव अपने कब्जे में लेकर गुमला सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस भेजा। मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया। थाना प्रभारी ने बताया कि घटना को लेकर गंभीरता से जांच शुरू कर दी गई है और हर पहलू की गहराई से पड़ताल की जा रही है।

समाज में शोक की लहर
गजेन्द्र किसान न केवल एक शिक्षाविद थे, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाते थे। उनकी असामयिक और दर्दनाक मौत से स्थानीय समुदाय स्तब्ध है और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

यह घटना प्रशासन और विद्युत विभाग के लिए भी एक चेतावनी है कि हाई वोल्टेज लाइन और घरेलू कनेक्शन के बीच स्पष्ट सुरक्षा मानक और समय पर मरम्मत की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं न हों।

न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया 

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