जब भी उग जाती हूँ
खर पतवार सी,
कर दो मेरी निराई|
तुम्हारे लिए तो मैं
मखमली दूब हूँ…
मैं हूँ ग्रामीण बोनसाई
उग जाती हैं जैसे भी !
कभी हिचकती नहीं
छांटते रहो टहनियाँ
उफ़ नहीं करेगी
रोप् दिया बाबा ने तुम्हारे
आँगन में मुझे,
जब भी खिलूँगी
तुम्हारे आँगन में ही खिलूँगी…
मनभावन फसल की चाह में,
छाँटते रहो क़द मेरा
दे दो कोई मनचाहा आकर |
बाँध दो मेरी ऊँचाई की परिधि
मेरे अहम को सुलाते रहो
याद दिलाकर सातो वचन |
घेर दो मेरे हौसलों की ऊँचाई को,
बनकर मेरा आसमान …
दुखों ने भी पा लिया है अमरता |
मिटते देखा है कभी किसी ने
स्त्री की पीड़ा को ?
हर युग में स्त्री पीड़ा
नए सिरे से खड़ी
हो जाती है ।
देने हरियाली तुम्हारे आँगन को
पी लिया है अपने ही स्वेद
और आँसुओं को ।
क्या मेरी तरह ही होती हैं
शहरी बोनसाई ?
नाम ——— रजनी मल्होत्रा (नैय्यर) .
जन्म स्थान ——- झारखण्ड के पलामू जिले (कुमंदी ग्राम )लालन -पालन राँची में
जन्म की तिथि — —– ७-जून-
वर्तमान पता ——- बोकारो थर्मल (झारखण्ड)
शिक्षा —— झारखण्ड एवं उ .प्र में. इतिहास (प्रतिष्ठा) से बी.ए.संगणक
विज्ञान में बी .सी. ए. एवं हिंदी से बी.एड . राँची इग्नोऊ से हिंदी में
स्नातकोत्तर | इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी.
भाषा लेखन —हिंदी, पंजाबी, उर्दू
लेखन- गीत, ग़ज़ल, कहानियां, कविताएँ.
सम्प्रति —– ( संगणक विज्ञान की शिक्षिका)
कविता संग्रह ——– “स्वप्न मरते नहीं “
ग़ज़ल संग्रह — “चाँदनी रात “
साझा काव्य संग्रह ” ह्रदय तारों का स्पन्दन ” ,” पगडंडियाँ ” व् मृगतृष्णा
नूर-ए-ग़ज़ल ग़ज़ल संग्रह में ग़ज़लें प्रकाशित ।
प्रकाशन की प्रतीक्षा में — कहानी संग्रह – “वो बुरी औरत” व् दूसरी कविता संग्रह –“शोहदों का सफ़र”
विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . मंच पर सामयिक सामाजिक, राजनीतिक व् नारी सम्बन्धित रचनाओं का काव्य पाठ हिंदी विकाष परिषद् द्वारा सम्मान प्राप्त |19 वॉ अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन 2011 (आगरा )में सम्मानित 20वॉ अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन 2012 (गाज़ियाबाद )में सम्मानित | साहित्यांचल द्वारा रंजना चौहान सम्मान 2013 भीलवाड़ा राजस्थान से प्राप्त | श्रीनगर उर्दू अकादमी द्वारा 2014 में सम्मान प्राप्त। 2017 में अटल सम्मान , 2018 में दिल्ली और नेपाल द्वारा ग़ज़ल कुम्भ में सम्मानित । 2018 प्रभात ख़बर द्वारा अपराजिता सम्मान । सुरभि सलोनी पत्रिका में “वो बुरी औरत ” चर्चित धारावाहिक कहानी मेरे द्वारा लिखे गए | हिंदी पत्रिका वागर्थ, कादम्बिनी, पाखी, अदबी दहलीज़ , आदि के साथ – साथ, अंतरजाल पर रचनाएँ प्रकाशित | पंख पत्रिका की सलाहकार ,। मंडी टुडे त्रैमासिक पत्रिका का संपादन, कनाडा की त्रैमासिक पत्रिका हिंदी चेतना में रचनाएँ प्रकाशित |अब्जद ,इंसा , बिहार उर्दू एकेडमी, उर्दू टुडे, अदीब कर्नाटक उर्दू एकेडमी ,सदा
कश्मीर, ज़र्रीन शोआयें, बंगलौर, उफ़ुके अदब, महफिले फनकार, आजकल दिल्ली ,आदि उर्दू पत्रिकाओं में , रचनाएँ प्रकाशित .” माँ दा नाम ध्या लौ भगतों “पंजाबी सी. डी .के गीत मेरे द्वारा लिखे गए |