नारायण विश्वकर्मा
रांची: साहेबगंज में बिहार के जमाने से पत्थरों की अवैध माइनिंग हो रही है. झारखंड राज्य के गठन के बाद लगा था कि साहेबगंज में पहाड़ों पर चल रही अवैध माइनिंग पर थोड़ा अंकुश लगेगा. लेकिन पिछले 22 साल में हजारों एकड़ भूमि में पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई कर उसे टीलों में तब्दील कर दिया गया है. झारखंड की सभी सरकारों ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया. 2020 में हेमंत सरकार आने के बाद तो अवैध खदान चलानेवाले माफिया बिल्कुल निरंकुश हो गए. माफियाओं ने अवैध माइनिंग से करोड़ों का मुनाफा किया. बेशक इस काम को बगैर राजनीतिक संरक्षण के अंजाम देना मुश्किल था. पांच साल पूर्व की बात करें तो, जो रघुवर सरकार में फलना-फुलना शुरू किया, उसी माफिया को हेमंत सरकार में सत्ता की सरपरस्ती मिल गई. हां, एक बात सौ फीसदी सच है कि अगर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने साहेबगंज में बड़ी कार्रवाई नहीं की होती तो, आज पंकज मिश्रा जैसे सरकारी दलाल और उनके कुनबे का कुछ नहीं बिगड़ सकता था.
पंकज के खिलाफ चार्जशीट दायर होने के बाद राजनीति गरमाई
पंकज मिश्रा के खिलाफ चार्जशीट दायर होने के बाद झारखंड में राजनीति गरमा गई है. कुछ दिन पूर्व झामुमो ने इडी की कार्रवाई के संबंध में बार-बार मुख्यमंत्री का नाम जोड़ने पर आपत्ति जतायी थी. पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा था कि इडी की ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं होने पर भी सीएम का नाम जोड़ कर राज्य को बदनाम करने की साजिश की जा रही है. अब झामुमो को बताना चाहिए कि पंकज मिश्रा ने कैसे साहेबगंज में दो-ढाई साल में अपना काला साम्राज्य खड़ा कर लिया? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद दीपक प्रकाश ने पंकज मिश्रा मामले में झामुमो से पूछा है कि अब तो ईडी द्वारा दायर आरोप पत्र में भी राजनीतिक संरक्षण का स्पष्ट उल्लेख कर दिया गया है. अब झामुमो स्पष्ट करे कि पंकज मिश्रा से उनका क्या संबंध है? झामुमो बताए कि 1000 करोड़ की लूट कराने का अधिकार उनके नेता को किसने दिया? इडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि झारखंड में 1000 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध खनन हुआ है. ईडी ने पंकज मिश्रा को ‘राजनीतिक संरक्षण’ मिलने की बात कही है. भाजपा का कहना है कि आखिर पंकज मिश्रा को क्यों और कैसे मिला सत्ता का संरक्षण? इसे झामुमो स्पष्ट करे.
किंगपिन पिंटू पर जल्द कसेगा ईडी का शिकंजा…!
साहेबगंज, दुमका और पाकुड़ में पंकज मिश्रा को पत्थर किंग बताया जाता है, लेकिन अभी एक और किंगपिन पर गाज गिरना बाकी है. इस किंगपिन का नाम है सीएम का प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू. इन दोनों मठाधीशों को किसका संरक्षण प्राप्त है? इसका भी खुलासा हो जाएगा. सूत्रों की मानें तो किंगपिन भी ईडी के रडार पर है. बहुत जल्द उसपर भी कानूनी शिंकजा कसनेवाला है. यहां बताते चलें कि अभिषेक प्रसाद के पत्थर खदान का निरीक्षण कार्य जुलाई माह में ही पूर्ण हो चुका है। मेसर्स शिवशक्ति इंटरप्राइजेज के नाम से अभिषेक प्रसाद को पत्थर खदान की लीज मिली है। सूत्रों के अनुसार, पिछले साल जून में इस पत्थर खदान की स्वीकृति दी गई थी। यह पत्थर खदान मिर्जाचौकी थाना क्षेत्र के पकड़िया मौजा में है। कुल 1170 डिसमिल भूमि पर पत्थर खनन की स्वीकृति दी गई थी। पत्थर खदान के डीड पर विष्णु प्रसाद यादव का हस्ताक्षर है। बताया जाता है कि अनुमति मिलने के कुछ दिनों बाद ही अभिषेक प्रसाद की शिवशक्ति इंटरप्राइजेज नामक खदान में पत्थर खनन शुरू कर दिया गया था। यहीं के एक पत्थर कारोबारी को उसकी देखरेख का जिम्मा दे दिया गया था। हालांकि, ईडी की कार्रवाई शुरू होने के बाद फिलहाल पत्थर खदान में खनन कार्य बंद है। सूत्र बताते हैं कि पंकज मिश्रा और अभिषेक प्रसाद सत्ता की पहरेदारी में अवैध माइनिंग करने-कराने, टेंडर मैनेज करने और अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का धंधा कर पाते थे. चर्चा है कि कई डीएमओ से पूछताछ के बाद ईडी के अधिकारियों के पास कुछ पक्के सबूत हाथ लगे हैं.
डेढ़ माह बाद भी हीरा भगत ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए
पंकज मिश्र से जुड़े अन्य आरोपी के खिलाफ भी समन जारी हो चुका है. साहेबगंज के मशहूर व्यवसायी हीरा भगत के खिलाफ ईडी ने 28 जुलाई को ही समन जारी किया है. इसके अलावा पंकज मिश्रा के खासमखास डाहु यादव अभी फरार चल रहे हैं. अभिषेक प्रसाद को भी दुबारा समन भेजे जाने की चर्चा है. दरअसल, ईडी की टीम ने हीरालाल भगत की पत्थर कंपनी वैष्णवी स्टो वर्क्स द्वारा विगत तीन साल में किए गए स्टोन चिप्स के उत्पादन व डिस्पैच की जानकारी हासिल कर ली है। पूरा आंकड़ा लेने के बाद टीम मिर्जाचौकी चार नंबर में स्थित हीरा लाल भगत के क्रशर प्लांट में पहुंची और जांच-पड़ताल शुरू की। पत्थर खदान की भी मापी कराई जा चुकी है। आठ जुलाई को छापेमारी के दौरान हीरा भगत के यहां से तीन करोड़ रुपये से अधिक नकद मिले थे। इसके बाद ईडी ने हीरा भगत के बेटे राजेश जायसवाल को पूछताछ के लिए रांची बुलाया था। हीरा भगत का पारिवारिक संबंध बिहार के किशनगंज भाजपा के एमएलसी दिलीप जायसवाल से जुड़े हैं. दिलीप जायसवाल हीरा भगत के अपने समधी हैं. दो माह पूर्व झामुमो ने इन्हें बचाने का आरोप भाजपा पर लगाया था. हीरालाल भगत के खिलाफ समन जारी होने के डेढ़ माह बाद भी झामुमो की ओर से कोई बयान नहीं आया है.
दरअसल, झारखंड की राजनीति शुरू से ही खान-खनिज के ईर्द-गिर्द ही घूमती रही है. खान आवंटन के घोटालों का खेल और माफियाओं द्वारा अवैध माइनिंग का रोग पुराना है. इस मामले में सफेदपोशों, अधिकारियों और पुलिस की तिकड़ी की मिलीभगत कई बार उजागर हो चुकी है. हां, झारखंड में ईडी की पहली बड़ी कार्रवाई से कई अधिकारियों के होश फाख्ता हैं. कहा जा रहा है कि अभी ईडी की कार्रवाई का सिलसिला थमनेवाला नहीं है. अब भी कई बड़े अधिकारियों से लेकर कुछ मंत्री ईडी के रडार पर हैं. सच कहा जाए तो, ईडी के कारण साहेबगंज के साहबों की मुसीबत अभी कम नहीं होनेवाली है.