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Thursday, September 19, 2024
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झारखण्ड में पहली बार किसी CM को ईडी ने समन भेजा, क्या आनेवाली है सरकार की शामत…?

नारायण विश्वकर्मा

रांची : पत्थर अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 3 नवंबर को पूछताछ के लिए झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को तलब किया गया है. अबतक की कार्रवाई में ऐसे कई अहम दस्तावेज और अन्य साक्ष्य ईडी को मिले हैं, जिसके आधार पर ईडी सीएम से पूछताछ करेगी. इसके बाद से झारखण्ड में राजनीतिक तेज हो गई है. झारखण्ड में पहली बार किसी मुख्यमंत्री को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया है. 3 अक्तूबर को हमने Jharkhandweekly में इसका अंदेशा जताया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के घर से मिले सीएम के नाम से बैंक खाते, पासबुक व चेकबुक मिलने के बाद से ही राजनीतिक फिजां में सनसनी फैल गई थी कि देर-सबेर ईडी मुख्यमंत्री से पूछताछ कर सकती है. अब वे अपने ही लोगों के कारण आर्थिक भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंसते नज़र आने लगे हैं.    

पंकज मिश्रा से घर से बरामद हुए थे चेकबुक  

ईडी को पंकज मिश्रा के घर से सीएम की हस्ताक्षरित और अहस्ताक्षरित चेक बुक पंकज मिश्रा के आवास से छापे के दौरान बरामद की गई थी। एक बैंक पासबुक भी जब्त की गयी थी. चार्जशीट में कहा गया है कि एक सीलबंद लिफाफा, जिसमें एक पासबुक और दो चेक बुक हैं. इसमें दो हस्ताक्षरित चेक-004718 और 004719 हैं। इसके अलावा 31 ब्लैंक चेक, जिनके नं. 005720 से 004750 हैं, जो बैंक ऑफ इंडिया, गंगाप्रसाद शाखा, साहिबगंज के हैं, ये सभी हेमंत सोरेन के नाम पर खाता संख्या 5932xxxxxxxxxxx से संबंधित हैं। ईडी ने मिश्रा और अन्य के खिलाफ साहेबगंज जिले में एफआईआर के आधार पर 8 मार्च को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी जांच शुरू की थी। 16 सितंबर को विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष दायर आरोपपत्र के बराबर अभियोजन की शिकायत में संघीय एजेंसी ने झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल का बयान दर्ज किया था। जिसने कथित तौर पर कहा था कि यह उनकी उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने मिश्रा को ‘पत्थर और रेत खनन व्यवसाय से संथाल परगना से आनेवाले धन को सीधे प्रेम प्रकाश को सौंपने’ का निर्देश दिया था।

31 ब्लैंक चेक भी हुए हैं बरामद

सीएम के फंसने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है 24 अगस्त को रांची में छापेमारी के दौरान प्रकाश के आवास से झारखंड पुलिस की दो एके-47 बरामद होना. आखिर क्या कारण है कि पुलिस मुख्यालय ने अभी तक उन जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की है. अवैध खनन मामले की जांच कर रही ईडी ने विशेष अदालत को बताया था कि उसने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के चार खातों को फ्रीज कर दिया है. उन खातों में 83.98 लाख रुपये जमा थे. जिस वक्त अवैध खनन चरम पर था, उस दौरान उसके बैंक खातों में बेहिसाब नकदी जमा हुए. ईडी ने अदालत को यह भी बताया था कि इसी साल 8 जुलाई को पंकज मिश्रा के ठिकानों पर छापामारी की गई थी. इस दौरान ईडी ने एक सीलबंद लिफाफा बरामद किया. जिसमें एक पासबुक और दो चेकबुक हैं. जिसमें हस्ताक्षर किया हुआ है. 31 ब्लैंक चेक बरामद हुए हैं, जो बैंक ऑफ इंडिया, साहिबगंज में गंगा प्रसाद शाखा के हैं.

हेमंत सरकार की उलटी गिनती शुरू: बाबूलाल  

ईडी के समन के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गयी है. भाजपा विधायक दल के नेता और राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने तंज कसते हुए कहा कि हेमंत सोरेन के दरबार में ऐसे-ऐसे नवरत्न हैं जो अपने राजा के बल पर पूरे झारखण्ड को लूटने का काम किया है. अब इनके राजा ही अपने बुने जाल में फंस गए हैं. मैंने तो डेढ़ साल पूर्व ही चेताया था कि राज्य में जिस तरह से अवैध खनन हो रहा है कि हेमंत सोरेन के बुरे दिन आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष ने कहना शुरू कर दिया है केंद्र के इशारे पर सब कुछ हो रहा है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि साहेबगंज में किसके इशारे पर लूट मची हुई थी? किसके इशारे पर पंकज मिश्र जैसे छुटभैये नेता को संताल का किंग बना दिया? और उसे लूटने की खुली छूट दे दी गयी? उसके जेल जाने के बाद भी उसका रसूख कम नहीं हुआ. इसमें केंद्र की कहां भूमिका है? ये सत्ताधारियों को बताना चाहिए. दरअसल अब हेमंत सरकार की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है.

 क्या CM कल हाजिर होंगे या समय लेंगे?  

बता दें कि इससे पहले ईडी पूर्व सीएम की सलाहकार अभिषेक से पूछताछ कर चुकी है. आनेवाले दिनों में ईडी कुछ सीनियर  आईएएस और आईपीएस को भी नोटिस भेज कर पूछताछ के लिए बुला सकती है. ईडी से समन मिलने के बाद सत्ता के गलियारे में अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि क्या मुख्यमंत्री कल हाजिर होंगे या फिर समय लेने की कोशिश करेंगे? वैसे अब सरकार पर शामत आनेवाली है. बहरहाल इतना तो तय है कि अगर ईडी ने साहेबगंज के साहबों पर अपना शिकंजा नहीं कसा होता तो, सब कुछ यथावत चलता रहता. अब झारखण्ड में शासकीय भ्रष्टाचार वर्तमान राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा है. दरअसल संस्थागत भ्रष्टाचार को राज्य सरकारें रोकने में दिलचस्पी नहीं दिखाती, ये भी कटू सत्य है.    

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