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Tuesday, September 17, 2024
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कोई भी सम्मान कामरेड विनोद से बड़ा नहीं हो सकता, इनका मकसद : निष्काम भाव से जनसेवा व मुद्दों की राजनीति पर अमल करना

गिरिडीह (कमलनयन) शोषण मुक्त समाज के पक्षधर रहे अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान के महानायक धरतीआबा के गृह प्रदेश झारखंड विधानसभा ने वर्ष 2022 के लिए बगोदर विधायक कामरेड विनोद कुमार सिंह को बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक सम्मान के लिए चुना है। झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो की अध्यक्षता में सम्पन्न चयन समिति की बैठक के बाद सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में उन्हें चुने जाने की घोषणा की गई। ये सम्मान विशेष समारोह में उन्हें 22 नवम्बर को दिया जाना प्रस्तावित है। भाकपा माले की राज्य कमेटी ने पार्टी के झारखंड में अपने इकलौते विधायक विनोद कुमार सिंह को राज्य विधानसभा में उत्कृष्ट विधायक चुने जाने पर झारखंड में जल-जंगल-जमीन एंव लोकतंत्र के लिए संघर्षरत जनमानस को आभार व्यक्त कर बधाई दी है.

पिता महेंद्र बाबू के नक्शेकदम पर कामरेड विनोद

विधायक विनोद सिंह झारखंड में ऐसे जननेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने बतौर जनप्रतिनिधि निष्काम भाव से जनसेवा के जरिये जनमानस के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. विनोद सिंह जनहित के मुद्दे को लेकर अनवरत जुझारू संघर्ष करनेवाले स्व. महेन्द्र सिंह की क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाने में तन-मन-धन से जुटे हुए हैं. सच कहा जाए तो विनोद सिंह भी अपने पिता महेन्द्र सिंह के नक्शेकदम चलकर उनका अनुशरण कर रहे हैं. ऐसे प्रतिनिधियों का लक्ष्य एकमात्र गरीबों, कमजोर तबकों और जरूरतमंदों के लिए लगातार संघर्ष करना होता है. जिस प्रकार से महेन्द्र सिंह ने ढेड़ दशक के विधायकी जीवन में राज्य और देश से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बेबाकी बोलना अपना धर्म समझते रहे. वे विधानसभा के भीतर और बाहर सवाल उठाते रहे एवं नवगठित झारखंड के नवनिर्माण को लेकर अपना निष्पक्ष नजरिया जनता के समक्ष रखा. चाहे वह ततकालीन निगरानी विभाग से जुड़ा पुलिस जुल्म का मामला हो या भ्रष्टाचार का, हर मुद्दे पर उन्होंने गंभीर सवाल खड़े किये. कई बार तो उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा किया.

मुद्दों की राजनीति करने में विश्वावास

सच कहा जाए तो मुद्दों की राजनीति करने में कामरेड विनोद राजनीति के शीर्ष पर नजर आते हैं. उनके स्वभाव में भी उनके पिता का अक्स दिखता है. झारखंड के लोंगो का सामाजिक व आर्थिक उत्थान करने एंव राज्य के सुव्यवस्थित विकास के प्रति इनमें भी बेचैनी दिखती है. रचनात्मक कार्यो में श्री सिंह का सकारात्मक योगदान इनके सार्वजनिक जीवन में भी स्पष्ट परिलक्षित होता है. विपरीत परिस्थितियों में भी वे अपना सयंम-विवेक और शालीनता को बनाए रखने में इनकी तुलना अन्य जनप्रतिनिधियों से बिल्कुल अलग दिखता है. इनके धुर विरोधी भी ऐसा मानते हैं. यही कारण है कि चाहे सरकार जिस दल की रही हो, अपने तीखे और वाजिब सवालों को विधानसभा में संसदीय भाषा के दायरे में रहकर मजबूती से उठाते हैं. सतारूढ़ दलों के द्वारा जनहित में कैबिनेट के जरिये लाये गये प्रस्तावों पर सकारात्मक एवं व्यावहारिक सुझाव भी देने से ये नहीं चूकते. कामरेड विनोद सिंह द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विभागीय मंत्री भी इनके सवालों को गंभीरता से लेते हैं एंव समस्या का समाधान करने की दिशा में सार्थक प्रयास करते हैं. क्योंकि संघर्षरत व्यक्ति की सफलता उनकी विचारधारा पर निर्भर करती है. उनके द्वारा विधानसभा में उठाये जानेवाले अधिकतर मामले जनता से जुड़े मसलों से गुथे होते हैं।

बगोदर की बुलंद आवाज हैं कामरेड विनोद

झारखंड विधानसभा में मॅानसून सत्र के दौरान हर साल वज्रपात की चपेट में आने से कई मौतें होती हैं। झारखंड की भौगोलिक सरचंना में प्रकृति का यह क्रम स्वभाविक माना जाता है. कुछ साल पहले व्रजपात  से मरनेवाले लोगों के आश्रितों को प्राकृतिक आपदा मद में कुछेक हजार सहायता राशि का प्रावधान था। विनोद सिंह ने सदन में इस राशि को बढाने को लेकर सवाल उठाए, तब जाकर अब दो लाख रुपए तक दिये का प्रावधान किया गया है. इसी प्रकार से हाल के वर्षों में झारखंड समेत देश के अन्य भागों में मॉब लिचिंग के मामले बढ़े। इसको लेकर विनोद सिंह ने गंभीरता से सदन में मामला उठाया, जिसके फलस्वरूप इस कानून का कड़ाई से पालन होने से कई पीडित परिवारों को इससे राहत  मिली। विधानसभा के लगभग हर सत्र में विनोद सिंह द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्र बगोदर में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, सिंचाई एवं अन्य मसलों को लेकर आवाज उठाने कोई कसर नहीं छोड़ते. ऐसे मामलों की सूची बहुत लंबी है. सच कहा जाए तो कामरेड विनोद बगोदर की बुलंद आवाज हैं, जिसकी गूंज पूरे झारखंड में सुनी जाती रही है.

दो बार पहले भी अस्वीकार कर चुके थे

बकौल विनोद सिंह मानते हैं कि लोंगो का स्नेह और उनकी उम्मीदें ही उन्हें आमजन के मुद्दे उठाने के लिए प्रेरित करता है. उत्कृष्ट विधायक सम्मान को उन्होंने काफी सहजता से लेते हुए कहा कि दो बार पहले भी पहल हुई, लेकिन उन्होंने खुद से मना कर दिया था। किन्तु इस दफे उन्हें मीडिया के जरिये जानकारी हुई। दरअसल, वे तो साक्षात् उत्कृष्ट विधायक हैं. उनके हर सम्मान उनके कद से छोटा है. उनके बारे में कहा जाता है कि विधानसभा के किसी प्रोग्राम में बंटनेवाले उपहारों को वे स्वीकार नहीं करते. यही गुण उन्हें सभी विधायकों से अलग पहचान देता है. यही गुण और आदर्श कामरेड महेंद्र सिंह में भी था. काश सभी माननीय ऐसा आचरण रखें तो अपना झारखंड कई राज्यों से अपनी अलग छाप छोड़ पाता...!

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