रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने गुरुवार को एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि झारखंड प्रदेश के नगर निकाय चुनाव संबंधी मामले पर संविधान और आदिवासी हितों के रक्षार्थ झारखंड सरकार से ज्यादा आदिवासी जनता अपनी सजगता और सक्रियता का परिचय दिया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। झारखंड सरकार की गलत अनुशंसा पर राज्यपाल ने भी अपनी सहमति प्रदान कर दी थी।
टीएसी की बैठक बुलाकर गलती को सुधारा गया
श्री मुर्मू ने कहा कि आदिवासी धरना-प्रदर्शन, जन दबाव और मान्य झारखंड हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर दो जनहित याचिकाओं ने झारखंड सरकार को टीएसी की बैठक बुलाकर अपनी गलती को सुधारने का अवसर जरूर प्रदान किया है। इस तरह आखिरकार झारखंड सरकार ने संविधान और आदिवासी हितों की रक्षा में सही फैसला लिया है, यह सराहनीय कदम है। परंतु सरकार को संविधान और जन भावना के साथ दो कदम आगे रहना ही जनतंत्र की सफलता है। अब तक झारखंडी जनता आगे और सभी सरकारें और झारखंड में कार्यरत लगभग सभी प्रमुख पार्टियां जन भावना के खिलाफ चलते रहे हैं। नतीजा आदिवासी- मूलवासी बेवश, लाचार, कमजोर और दुखी हैं।