रांची: शिबू सोरेन खानदान के राजनीतिक पतन के बगैर संतालपरगना और झारखंड में शांति और प्रगति असंभव है। साहिबगंज जिले में हुई आदिवासी महिला की बर्बरतापूर्ण हत्या के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से सोरेन खानदान दोषी है। संतालपरगना में घटित ऐसी अनेक बर्बरतापूर्ण हत्याओं के पीछे राजनीतिक वोट बैंक से जुड़े अन्याय, अत्याचार और शोषण का मामला है। यह कहना है आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू का. वे मानते हैं कि सोरेन खानदान असली आदिवासियों के हासा-भाषा की राजनीति नहीं करता है, बल्कि नोट और वोट की राजनीति करता है। परिणामतः आज एक तरफ जहां इनकी गंगोत्री से नोट या भ्रष्टाचार की गंगा चरम पर है, तो दूसरी तरफ वोट बैंक की राजनीति के लिए ईसाई मिशनरियों और मुस्लिमों के हाथ में संताल परगना को सुपुर्द कर दिया गया है। जिसका खामियाजा असली सरना आदिवासियों को रोज भुगतना पड़ रहा है।
रामेश्वर मुर्मू की संदिग्ध हत्या के पीछे भी वोट बैंक का मामला
श्री मुर्मू ने कहा कि भोगनाडीह में 12 जून 2020 को हुई शहीद सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की संदिग्ध हत्या के पीछे भी वोट बैंक का मामला है। उनका आरोप है कि हेमंत सरकार की सीबीआई जांच की घोषणा के बावजूद इस मामले पर नेम्ड एफआईआर के तहत एक मुस्लिम का नाम होने के कारण सीबीआई जांच को भी रोक दिया था। ईसाई बने आदिवासी असली आदिवासियों की जड़ों को काटने और भटकाने का काम कर रहे हैं। केवल भाजपा के डर से आदिवासियत नहीं, केवल ईसाइयत की रक्षा के लिए मुस्लिमों के साथ गठबंधन बनाकर आदिवासियों की बर्बादी का खेल खेल रहे हैं। अतः सरना धर्म कोड की रक्षा और मान्यता के लिए इनका विरोध जरूरी है। उन्होंने कहा कि सेंगेल की मांग है जल्द से जल्द ईसाई बने आदिवासियों की डीलिस्टिंग लागू की जाए। कुर्मी जाति को एसटी बनाने के पीछे भी सोरेन खानदान का हाथ है।
सोरेन खानदान का राजनीतिक खात्मा अनिवार्य
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों और क्रियाकलापों का जोरदार विरोध करना जरूरी है। याद रहे 1932 का ख़तियानी झुनझुना बहुत जल्द बजना बंद हो जाएगा. ये कैसी सरकार है कि केंद्र सरकार की मुहर लगे बिना ही जोहार खतियान यात्रा निकाली जा रही है. ये आदिवासी जनता को छलने का काम किया जा रहा है. सरकार की मंशा को समझने की जरूरत है. अतः सेंगेल द्वारा सोरेन खानदान के विरोध में और एक संताल विद्रोह का शंखनाद 22 दिसंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में मातृभाषा विजय दिवस से किया जाएगा। संताल विद्रोह के इतिहास और संताल परगना को बचाने के लिए अब सोरेन खानदान का राजनीतिक खात्मा अनिवार्य है।