✦ झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित समर कैंप में बच्चो स्कूली बच्चो के आकांक्षाओं को मिली उड़ान
✦ “हर दिन एक नया अनुभव, हर गतिविधि एक नई सीख” की थीम पर 35000 स्कूलों में आयोजित हुआ समर कैंप, समावेशी फिजिकल लिटरेसी पर दिया गया जोर
✦ समर कैंप एक अनोखा प्रयास है, जिससे बच्चे शारीरिक रूप से सक्रिय, मानसिक रूप से मजबूत और सामाजिक रूप से संवेदनशील बने – श्री धीरसेन सोरेंग
झारखंड के 35000 सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा 1-10 तक के स्कूली बच्चो के लिए पहली बार झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के द्वारा पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से अनोखा और नवाचार आधारित समर कैंप का आयोजन किया गया। इस समर कैंप की शुरुआत 13 मई से हुई, जिसमे बच्चो को शारीरिक रूप से सक्रीय, मानसिक रूप से मजबूत और सामाजिक रूप से संवेदनशील बनाने पर जोर दिया गया। समर कैंप में दिवासवार कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन कर बच्चो में समावेशी फिजिकल लिट्रेसी को बल दिया गया। समर कैंप की थीम “हर दिन एक नया अनुभव, हर गतिविधि एक नई सीख” थी। समर कैंप से पूर्व वेबिनार के जरिये संबंधित स्कूलों को समर कैंप के उद्देश्यों और इसके प्रभाव के बारे में जागरूक किया गया था। वेबिनार की अध्यक्षता राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी श्री धीरसेन सोरेंग ने की थी। श्री सोरेंग ने वेबिनार में स्कूलों को प्रभावी कार्यक्रम और गतिविधियों की जानकारी देते हुए कैंप के सफल आयोजन के लिए मार्गदर्शन दिया था। इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुभवात्मक और समग्र शिक्षा दृष्टिकोण को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू करना था। पिरामल फाउंडेशन से डॉ. हसान अहमद नूरी ने मार्गदर्शन प्रदान किया। इस आयोजन में राज्य खेल प्रकोष्ठ के सदस्यों सहित विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
जोश से भरी शुरुआत, मेले के साथ समापन
समर कैंप में प्रतिदिन बच्चो को रोचक और अनोखे गतिविधियों में शामिल होने का मौका मिला। इनमे जुम्बा, नृत्य और सामूहिक व्यायाम जैसी गतिविधियों भी हुई, जिससे बच्चों में ऊर्जा और टीम भावना का संचार हुआ। पारंपरिक खेलों ने बच्चों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हुए उनके शारीरिक कौशल और सामंजस्य को भी मज़बूत किया। बच्चो ने प्लास्टिक कचरे से खेल सामग्री बनाई और खुद का खेल डिजाइन किया
। इससे रचनात्मकता और पर्यावरणीय चेतना को बढ़ावा मिला। स्कूली बच्चों ने कला, नृत्य और आर्ट एंड क्राफ्ट के माध्यम से अपनी पहचान और भावनाएं व्यक्त की। आकांक्षात्मक मैपिंग और ‘सम्पूर्ण गतिविधि’ के ज़रिए उन्होंने अपने सपनों और जीवन लक्ष्यों पर चर्चा की। समर कैंप का समापन ‘खेल मेला’ के साथ हुआ, जिसमें बच्चों ने अपनी बनाई हुई सामग्री और खेल प्रस्तुत किए। सभी बच्चों को प्रोत्साहन प्रमाणपत्र दिया गया।
बच्चो का बनाया गया ‘माई गेम पासपोर्ट’
“समर कैम्प के दौरान बच्चों का ‘माई खेल पासपोर्ट’ भी बनाया गया, जिसमें वे अपने खेल अनुभवों को दर्ज कर सकते हैं। माई खेल पासपोर्ट के माध्यम से बच्चो की भावनात्मक साक्षरता (SEL) को रचनात्मक तरीके से जोड़ा गया। हर खेल तथा गतिविधि के उपरान्त बच्चे अपने अनुभव को लिखते हैं, जिससे वे अपनी भावनाएं पहचानना और व्यक्त करना सीखते हैं। साथ ही विद्यालयों में ‘फिजिकल लिटरेसी कॉर्नर’ की स्थापना की गयी जिससे बच्चे मजेदार और ज्ञानवर्धक तरीके से इंडोर गेम्स खेल सके।
न्यूज़ डेस्क