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Thursday, September 19, 2024
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बाबूलाल मरांडी ने नियोजन नीति पर सरकार को घेरा,कहा-कानूनी दावपेंच में उलझाकर युवाओं को गुमराह करने से बाज आएं

रांची : नियोजन नीति हाईकोर्ट से रद्द होने के बाद पक्ष-विपक्ष इस मुद्दे पर उलझ गया है. भाजपा इस मामले में हेमंत सरकार को बैकफुट पर ला दिया है. वहीं झारखंड के युवा हेमंत सरकार कटघरे में खड़ा कर दिया है. इधर, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि पत्रकारों से कहा कि हेमंत सरकार ने 2021 में नियोजन नीति बनाई थी, जिसमें प्रावधान किया गया था कि जो लोग 10वीं और 12वीं झारखंड से करेंगे वहीं नौकरी के लिए योग्य होंगे। जो लोग झारखंड से बाहर से पढ़ कर आएंगे वे इसके योग्य नहीं होंगे। क्या यह नीति सही थी? झारखंड की राजकीय भाषा हिंदी है और सरकार ने हिंदी की जगह ऊर्दू को शामिल किया और हिंदी को हटा दिया, क्या यह सही है?

हाईकोर्ट के तर्क को सुप्रीम कोर्ट में कैसे चुनौती देंगे?

श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड सरकार जो भी नियोजन नीति बनाने से पूर्व क्या सर्वदलीय बैठक बुलाई थी? आज वे युवाओं के गुस्से को शांत करने के लिए राजभवन का साथ मांग रहे हैं. सवाल उठता है कि हाईकोर्ट ने ये पूछा कि आपने भाषाओं के लिए जब सर्वे नहीं कराया तो फिर हिंदी के बदले ऊर्दू को कैसे शामिल कर दिया. हाईकोर्ट के तर्क को आप सुप्रीम कोर्ट में कैसे चुनौती देंगे? जिन निर्णयों पर कोर्ट की आपत्ति है उसका जवाब आप कैसे देंगे? उन्होंने कहा कि राज्यहित में नियोजन नीति बनाने की बदले आपने भाषाई स्तर विवाद को बढ़ा दिया है. सरकार के लिए युवा वर्ग को समझाना मुश्किल हो गया है. इसलिए राज्य सरकार को इस पर जिद छोड़ देनी चाहिए और नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ करने से बाज आना चाहिए.

सर्वमान्य नियोजन नीति बनाने की पहल करे

उन्होंने कहा कि हिन्दी और अंग्रेजी को छोड़ ऊर्दू को प्राथमिकता देना किसी के गले नहीं उतर रहा है. झारखंड के लोग अब सड़क पर उतर चुके हैं। स्थानीय और नियोजन नीति एवं ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को नौवीं शेड्यूल में डालने के लिए राजभवन जाने से कुछ नहीं होगा. इस मामले में हाईकोर्ट के सवाल का जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. श्री मरांडी ने कहा कि पार्टी की ओर से और मेरा सरकार से आग्रह है कि झारखंड के बच्चों को गुमराह नहीं करें. स्थानीय और नियोजन नीति तय करने का काम राज्य सरकार का होता है। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकती है और दूसरों के कंधों पर फेंक नहीं सकती। इसलिए सरकार से कहूंगा कि वह बिना विलंब किए अब यहीं पर बैठकर निर्णय करे। सरकार विपक्ष को विश्वास में लेकर एक सर्वमान्य नियोजन नीति बनाने की पहल करे.

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