रांची/धनबाद: झारखंड कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक के विरोध में लगातार तीसरे दिन भी हड़ताल जारी रही. राज्य के विभिन्न जिलों में जगह-जगह व्यापारियों ने विरोध-प्रदर्शन किया. राज्य की 28 बाजार प्रमुख मंडियों में सन्नाटा पसरा रहा. चैंबर ऑफ कॉर्मस का मानना है कि व्यापारियों के भारी विरोध के कारण सरकार को राज्य भर में करीब 200 से 250 करोड़ के राजस्व के नुकसान का अनुमान है. चैंबर प्रतिनिधियों का कहना है कि उनकी प्रमुख मांग विधेयक में निहित दो फीसदी शुल्क का विरोध है. इसे व्यापारी वर्ग बर्दाश्त नहीं करेगा.
राज्य में सप्ताह भर का स्टॉक शेष
व्यापारियों के आंदोलन के साथ ही व्यवसायियों ने खाद्यान्न के ऑर्डर बंद कर दिए हैं. राज्य में प्रतिदिन अनाज की खपत की बात करें तो प्रतिदिन अनाज खपत में चावल 3500 टन, गेंहू 2500 टन, आलू 1500 टन, प्याज 800 से 1000 टन, दालें 700 से 800 टन, खाद्य तेल की खपत है. व्यापरियों की मानें तो अगर सरकार समय रहते निर्णय नहीं लेती है, तो स्थिति गंभीर होगी. जबकि राज्य में अधिकतम सप्ताह भर का स्टॉक उपलब्ध है. सरकार ने अगर जल्द हमारी सुध नहीं ली, तो राज्य भर में अनाज संकट गहरा सकता है. सरकार विधेयक वापसी पर शीघ्र विचार करे.
धनबाद सांसद ने आंदोलन को दिया समर्थन
धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह, भाजपा नेत्री रागिनी सिंह एवं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव रविंदर वर्मा बाजार समिति परिसर पहुंचे. सांसद ने व्यापारी वर्ग के आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन दिया है. सांसद ने कहा कि सरकार को यह बिल वापस लेने के लिए बाध्य कर दिया जाएगा और जरूरत पड़ी तो सड़क से सदन तक आंदोलन किया जाएगा। कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव रविन्द्र वर्मा ने कहा कि हमारी सरकार व्यवसाइयों के साथ है. वे कृषि मंत्री से हमारे प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर एवं झारखंड के प्रभारी अविनाश पांडे से उनकी बातों को रखा जाएगा और व्यापारियों की समस्या का हल निकाला जाएगा।