17.1 C
Ranchi
Thursday, November 21, 2024
Advertisement
HomeLocal NewsDumriपारसनाथ श्री सम्मेद शिखरजी आस्था का तीर्थ क्षेत्र, आदिवासी व जैन समुदाय...

पारसनाथ श्री सम्मेद शिखरजी आस्था का तीर्थ क्षेत्र, आदिवासी व जैन समुदाय एक-दूसरे के पूरक: जैन संत

रांची : अंतर्मना आचार्य 108 श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने प्रेस क्लब के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित पत्रकार संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पारसनाथ श्री सम्मेद शिखरजी एक आस्था का तीर्थ क्षेत्र है, जिसके साथ आदिवासी समुदाय और जैन समुदाय की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। श्री सम्मेद शिखर जी का महत्व जितना जैन समुदाय के लिए है उतना ही आदिवासी समुदाय का है, क्योंकि भगवान पारसनाथ किसी जाति विशेष के नहीं बल्कि आदिवासी समाज के भी हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि आदिवासी और जैन समाज एक दूसरे के पूरक हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।

पारसनाथ पर्वत का संरक्षण व सुरक्षा के प्रयास होने चाहिए

आचार्य श्री ने पत्रकारों के सवाल के जवाब देते हुए कहा कि अगर पारसनाथ की धरती पर कुछ ऐसा काम हो रहा है, जो संवैधानिक तौर पर उचित नहीं है तो उस पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए इससे जैन समुदाय को किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पारसनाथ पर्वत का संरक्षण और सुरक्षा के प्रयास होने चाहिए। पर्वत पर किसी भी प्रकार का निर्माण करना गैर कानूनी है क्योंकि वह वन विभाग की संपत्ति है। उन्होंने पत्रकारों को सरस्वती पुत्र कहते हुए संबोधित किया और कहा कि मीडिया की भूमिका आज के दौर में अब काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि मीडिया के माध्यम से विचारों का संचार तीव्र गति से होता है और अगर सद्विचार को चंद लोग भी आत्मसात करते हैं तो संतों की तपस्या, संतों के उपदेश सफल माने जाते हैं।

पदयात्रा करते हुए संस्कारों का शंखनाद कर रहा हूं

आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने कहा कि गांधी जी ने दांडी यात्रा की थी, विनोबा भावे ने पदयात्रा की थी और वह समाज में नष्ट होती नैतिकता, गुम होते आदर्श और विलुप्त होता आगम को लेकर अहिंसा संस्कार पदयात्रा बीते 15 वर्षों से कर रहे हैं। देश के लोग पाश्चात्य व्यवस्था को फॉलो कर रहे हैं और देसी संस्कृति विलुप्त होती जा रही है ऐसे में संस्कारों को संरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है। आचार्य श्री ने कहा कि पहले चांद देखने पर मामा की याद आती थी लेकिन अब मोबाइल की संस्कृति ने जन्म ले लिया और हम उसके आदी बन गए हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य हमारे देश में फुटपाथ पर बिक रहा है जूते चप्पल शोरूम में बेचे जा रहे हैं तो आप समझ सकते हैं कि हमारी संस्कृति किस प्रकार विलुप्त होती जा रही है। जीवन में तीन सूत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है प्रकृति, संस्कृति और विकृति। अगर आप प्रकृति की संस्कृति के साथ चलते हैं तो जीवन को सात्विक तरीके से भी जीया जा सकता है वहीं अगर जीवन में विकृति लाते हैं तो इसी धरती पर आप दुख के भागी बनेंगे।

जीवन में जीएसटी बहुत जरूरी है: मुनि श्री पीयूष सागर

मुनि श्री पीयूष सागर जी महाराज ने कहा कि जीवन में इंद्रीयों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। जिंदगी में जीएसटी होना अति अनिवार्य है इसका मतलब गुड थिंकिंग, सिंपल लिविंग और टेंशन फ्री लाइफ। उन्होंने कहा कि अपने जीवन को सफेद रंग के रूप में तैयार कीजिए ताकि,जिस रंग में भी आप मिले जिस रंग से भी आप का संगम हो तो एक नया रंग निखर कर सामने आए। इसलिए जरूरी है कि जीवन में विचारधारा को व्यवस्थित रखें और अपने जीने की कला को जानें।

Offers from Amazon for JharkhandWeekly Readers

झारखंड वीकली के पाठकों के लिए ऐमज़ॉन का बेहतरीन ऑफर

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments