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Thursday, September 19, 2024
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गिरिडीह: झारखंड के कटहल की यूपी,बिहार,बंगाल समेत पांच राज्यों में भारी मांग

गिरिडीह : पौष्टिक तत्वों एवं गुणवत्ता से भरपूर सब्जियों में शुमार कटहल, जिसमें विटामिन ए और सी जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं. गिरिडीह जिले के सरिया मंडी के कच्चे कटहल झारखंड समेत पांच राज्य के लोगों को बेहद पसंद है. लोग अपने घरों में इसकी सब्जी बनाकर बड़े चाव से खाते हैं। जानकारों के मुताबिक गिरिडीह जिले के सरिया, बिरनी, बगोदर, डुमरी, जमुआ प्रखण्डों के कटहल का स्वाद ही कुछ अलग है। जिसकी जायकेदार सब्जी बनने पर हर दिन खाने की इच्छा होती है।

सरिया मंडी में रोजाना सैकड़ों किंक्टल कटहलों की आवक

इस वर्ष कटहल की बढ़ती मांग को देखते हुए सरिया मंडी में रोजाना सैकड़ों किंक्टल ताजा कटहलों की आवक है. क्षेत्र के केशवारी, पावापुर, धोवारी, बागोडीह, नावाडीह, सिंगदाहा, कोयरीडीह, चिचाकी समेत अन्य गांवों के किसान प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल कटहल सरिया मंडी में बेचने लाते हैं। कुछ किसान तो अन्य इलाकों से चार पहिया वाहनों में भरकर मंडी में भारी भरकम कटहल लाते है. फिर यहां कटहल का वजन करके मालवाहक वाहनों से झारखंड समेत बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश भेज दिया जाता है। स्थानीय किसानों के अलावा उपरोक्त राज्यों के व्यापारी भी मंडी में कटहल की खरीदारी करने आते हैं। मंडी में कटहल का मूल्य वजन के मुताबिक तय होता है। मंडी व्यापरियों के मुताबिक सरिया मंडी में ताजा कटहल का बाजार मूल्य 400 से 500 रुपए प्रति क्विंटल तय होता है।

बिहार,यूपी व प. बंगाल की सब्जी मंडियों में मांग ज्यादा

सरिया के किसान- कटहल व्यापारी विनोद कुमार यादव ने बताया कि यहां के कटहल की अच्छी क्वालिटी रहने के कारण दूसरे राज्यों में यहा के कटहल की काफी मांग है। बताया गया कि सरिया बाजार मंडी से प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल कटहल झारखंड समेत बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की सब्जी मंडियों में भेजा जाता है.  हालांकि कटहल की पैदावार को लेकर स्थानीय किसान बहोत ज्यादा जागरूक नहीं हैं। कृषि विभाग किसानों को इस दिशा में जागरूक करे तो इलाके में कटहल की पैदावार में और बेढ़ातरी होगी, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और पलायन भी कम होगा। किसान कहते हैं कि क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज तक नहीं है. कटहल तोड़ने के बाद तुरंत सप्लाई नहीं होने पर खराब होने लगते है। कोल्ड स्टोरेज रहने से कटहल का सुरक्षित भंडारण के साथ-साथ किसानों को ज्यादा मूल्य मिलेगा।

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