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Friday, September 20, 2024
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ED के समन के खिलाफ सीएम की याचिका हाईकोर्ट में खारिज, क्या फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएंगे सीएम…?

रांची : जमीन घोटाले के मामले में ईडी के समन के खिलाफ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का चक्कर लगा चुके पर, सारी कसरत बेकार गई. झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की याचिका को खारिज कर दिया. संभवत: एक बार सीएम ईडी के समन के के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं. इस बीच ईडी ने पिछले तीन महीने में अंदर सीएम को पांच बार समन भेज चुका है. पांचवा समन 4 अक्टूबर को ईडी ने जारी कर सीएम को बुलावा भेजा था. लेकिन उस दिन सीएम पलामू के दौरे पर चले गए थे.

जमीन मामले में आखिर सीएम से ईडी की पूछताछ क्यों जरूरी है…?

बता दें कि ईडी की तरफ से रांची के बड़गाई अंचल के बरियातू इलाके में एक ही बाउंड्री में 8.50 एकड़ जमीन को लेकर सीएम हेमंत सोरेन से ईडी पूछताछ करना चाहता है। पूछताछ इसलिए जरूरी है कि इस जमीन से जुड़े कागजात गिरफ्तार राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के मोबाइल फोन से मिले थे। मोबाइल फोन में मिले दस्तावेजों के आधार पर ही ईडी ने जमीन की जांच शुरू की थी। इस मामले में गिरफ्तार राजस्व उप निरीक्षक और बड़गाईं अंचल के तत्कालीन सीओ के बयान भी ईडी ने दर्ज किये थे. इसलिए ईडी सीएम से हर हाल में पूछताछ जरूरी समझ रहा है. शायद यही कारण है कि ईडी ने मुख्यमंत्री को बुलाने के लिए धड़ाधड़ समन जारी करने का सिलसिला चलाया.

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की एक भी दलील नहीं चली

हाईकोर्ट में हेमंत सोरेन की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखा। वहीं ईडी ने भी अपनी दलील पेश की। इसके बाद हाईकोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन की याचिका खारिज कर दी है। याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि समन का समय बीत चुका है. इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। जिस समन को चुनौती दी गई है उसका समय बीत चुका है। वहीं हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि अगर आप किसी मामले में आरोपी नहीं है, आपके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं है, तब तक समन जारी नहीं किया जा सकता। मामले की सुनवाई हाइब्रिड मोड में हुई है। ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू ने कहा कि इस केस को निरस्त कर देना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट समन के मामले में फैसला दे चुका है.

सीएम के साथ समन-समन का खेल सबसे ज्यादा ही खेला गया

इधर, सीएम ने भी हर बार ईडी कार्यालय में नहीं आने का कारण (चिट्टी भेजकर) बता कर नहीं गए. इस मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि देश के किसी भी राज्य के सीएम को पांच बार समन कभी नहीं भेजा गया है. ये समन-समन का खेल सिर्फ सबसे ज्यादा सीएम के साथ ही खेला गया. इस मामले में भाजपा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी अपनी जनसभाओं में कई बार सीएम को ललकारते हुए कहा कि हिम्मत है तो ईडी की पूछताछ का सामना करें. आदिवासी कार्ड खेलने से किसी का दोष थोड़े खत्म हो जाता है. बहरहाल, देखना है कि सीएम फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं या फिर ईडी की चौखट पर जाते हैं.

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