खलारी। सीसीएल एनके एरिया के केडीएच परियोजना खदान से सटे जामुनदोहर में 34 दिनों से रैयतों का नौकरी और मुआवजा की मांग को लेकर धरना जारी है। धरना पर बैठे बिहार कोलियरी कामगार यूनियन (सीटू) के जोनल अध्यक्ष सह विश्रामपुर के रैयत रतिया गंझू ने बताया कि हम रैयत नौकरी, मुआवजा, विस्थापन करने सहित अन्य जायज मांगों को लेकर जारी धरना को एक माह तीन दिन हो गया है, लेकिन रैयतों की मांगों पर एनके एरिया प्रबंधन के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों का उदासीन रवैया लगातार बना हुआ है। वहीं उन्होंने बताया कि 1980 में इस जमीन को सीसीएल के द्वारा अधिग्रहण किया गया था, परंतु तब से अब तक सीसीएल प्रबंधन ने रैयतों को 42 वर्ष बीत जाने के बाद भी रैयतों को सीसीएल के आरआर पालिसी के तहत न तो मुआवजा दिया है और न ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई है। वही सीसीएल प्रबंधन ने जब जमीन 1980 में अधिग्रहण किया तो मुआवजा की राशि उस वक्त भुगतान क्यों नहीं किया गया। इतने वर्षों के बाद सीसीएल हम रैयतो और विस्थापित ग्रामीणों को ठगने का काम कर रही है। जहरीले गैस और भू-धंसान के बीच रहने को हम लोग मजबूर है। वही इधर शुक्रवार को केडीएच पीओ अनिल कुमार सिंह को रतिया गंझू के द्वारा एक पत्र सौंपा गया। जिसमें कहा गया कि सीसीएल द्वारा चिन्हित किए गए 122 घरों में लगभग 70 से 75 घरों को वैध बताते हुए बाकी निर्मित घरों को अवैध बताया गया। पत्र में कहा कि बाकी बने घरों के लोग इसलिए जामुन दोहर में घर बनाए हैं ताकि सीसीएल के विस्थापन नीति के तहत घरों का मुआवजा ले सके। वहीं उन्होने कहा कि जब तक हमारी मांगों को मान नही लिया जाता तब तक हम रैयतों का धरना जारी रहेगा। धरना में जगन गंझू, विजय गंझू, देवराज गंझू, दिनेश गंझू, बलराम गंझू, महावीर गंझू, अखिलेश गंझू, पिंटू गंझू, राजू कुमार भूईया, करमा तुरी, दिनेश गंझू, रोशन गंझू, सतीश गंझू, संजय गंझू, लुरका गंझू, जगन गंझू, अनिता देवी, सरिता देवी, तारा कुमारी सहित अन्य कई रैयत और ग्रामीण बैठे हुए है।