गिरिडीह (कमलनयन) : उत्तराखंड के उतरकाशी टनल में 17 दिनों तक फंसे रहने के बाद वापस बाहर आए गिरिडीह-बिरनी के वीरश्रमिक विश्वजीत वर्मा और सुबोध वर्मा शनिवार को अपने गांव (घर) पहुंचे। अपने घर पहुंचे दोनों वीरश्रमिकों का घरवालों के साथ गांव वालों ने भी ढोल-नगाड़ों के साथ माला पहनायी गई. बूके देकर तिलक लगाकर, अंगवस्त्र देकर दोनों की आरती उतारी गई. जिंदगी की जंग जीतकर घर आने की खुशी का इजहार किया गया। दोनों मौसेरे भाइयों ने भी अपने से बड़ों का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। स्वागत कार्यक्रम में विश्वजीत वर्मा की पत्नी चमेल देवी अपने बच्चों के साथ आज बहुत खुश नजर आ रही थी. भगवान का लाख-लाख शुक्रिया कर रही थी इस खुशी के मौके पर अपने हाथों से गांव-घर के लोगों को लडडू खिला रही थी। सुबोध वर्मा के पिता बुधन महतो माता चन्द्रिका देवी आज बेटे के घर लौटने की खुशी में उसके चेहरे पर खुशी चमक रही थी.
ग्रामीणों को वीरश्रमिकों ने सुनाई अपनी आपबीती
दोनों ने कहा कि उनका एकलौता पुत्र घर आ गया, इससे बड़ी खुशी और क्या हो बात हो सकती है। बुधन महतो ने कहा कि उनके बुढ़ापे का सहारा घर लौटा है। जिंदगी की जंग जीतकर बेटा घर वापस लौटा है। आज उनके लिए बहुत बड़ा शुभ दिन है। अपने-अपने घर वापस लौटे दोनों वीरश्रमिकों ने सुरंग में गुजारे 17 दिनों की आपबीती सुनाते हुए कहा कि पिछले 12 नवम्बर को अचानक सुरंग में जहां काम चल रहा था, वहां ढेर सारा मलवा गिरने के कारण सभी 41 मजदूर भाई सुरंग में फंस गये थे। दो-तीन दिनों तक ऐसा लगा मानो जिंदगी यहीं ठहर जायेगी लेकिन भगवान की असीम कृपा और केन्द्र और उत्तराखंड सरकारों और राहत एजेंसियों एवं एक्सपर्ट लोगों के भगीरथी प्रयास से हम सभी साथी सुरंग से सुरक्षित बाहर निकल पाये। इसके लिए हम सभी का अभार व्यक्त करते हैं। कहा कि यह सब अपनों तथा करोड़ों भारतीयों की दुआओं और एक-दूसरे की हिम्मत के कारण संभव हो सका।
‘अगर सरकार हमें यहीं नौकरी देगी तो, हम अन्य प्रदेश क्यों जायेंगे?’
श्रमिकों ने कहा कि शुरुआती दो-तीन दिनों तक कुछ साथी विचलित हुए थे, लेकिन न जाने क्यों हमें विश्वास था कि हम अवश्य बाहर निकल पायेंगे और जब पाइप के जरिये फल-खिचड़ी और जरूरी सामग्री हम तक पहुंचने लगी तो विश्वास और मजबूत हुआ। कंपनी के लोगों का सरकारी अधिकारियों के फोन आते थे, हालचाल पूछते, हिम्मत देते और निकालने का भरोसा देते तो किसी तरह से दिन कटते गये। इस दौरान लूडो खेलते, पहाड़ का पानी पीते-नहाते और अन्य रोजमर्रा के काम करते रहे घरवालों से भी बात करते थे। अब आगे क्या करना है, इस सवाल के जवाब दोनों ने कहा कि फिलहाल कंपनी ने दो माह की छुट्टी दी है। उसके बाद तय करेंगे कि क्या करना है। अगर झारखंड सरकार हमें यही नौकरी देगी तो अन्य प्रदेश नहीं जायेंगे। कहा कि कोई शौक से अपना प्रदेश थोड़े न छोड़ता है। परिवार का भरण-पोषण के लिए हमें मजदूरी करने दूसरे प्रदेश जाना पड़ता है।
बगोदर विधायक ने सभी 15 वीरश्रमिकों को नौकरी देने की मांग की
दोनों श्रमिकों एवं उनके परिजनों ने राज्य सरकार से नौकरी देने की मांग की है। इधर, क्षेत्र के विधायक भाकपा माले के सीनियर लीडर विनोद कुमार सिंह ने दोनों से मुलाकात कर सरकार से झारखड सभी 15 वीर श्रमिकों को राज्य में समायोजन करने की मांग की है।