जमशेदपुर : झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने की अधिसूचना के बाद जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने अधिसूचना को असंवैधानिक और ग़ैरक़ानूनी बताया है। राज्य मंत्रिपरिषद के संकल्प को ही नगर विकास विभाग ने अधिसूचित कर दिया है। सामान्य अधिसूचनाओं की तरह इसे राज्यपाल के आदेश से जारी बताया गया है। सरयू राय ने बताया कि वस्तुस्थिति यह है कि संबंधित संचिका सरकार ने राज्यपाल को भेजा ही नहीं और अपने स्तर से ही जमशेदपुर को औद्योगिक नगर बनाने का आदेश जारी कर दिया। नगर विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे से इस बारे में उन्होंने फोन पर बात की तो, उन्होंने स्वीकार किया कि अधिसूचना जारी करने का आदेश लेने के लिए संचिका राज्यपाल को नहीं भेजी गई है। मंत्रिपरिषद का आदेश ही अधिसूचित कर दिया गया और आम आदेशों की तरह इस पर राज्यपाल के आदेश से जारी किया अंकित कर दिया है, क्योंकि नगरपालिकाओं के गठन या विखंडन का अधिकार सरकार के मंत्रिपरिषद को है।
जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने का मामला कार्यकारी नहीं, बल्कि नीतिगत है : विनय चौबे
सरयू राय ने एक विज्ञप्ति के जरिये श्री चौबे को स्मरण कराया कि जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने का मामला कार्यकारी नहीं बल्कि नीतिगत है। यह कोई प्रत्यायुक्त विधान नहीं है, बल्कि संवैधानिक प्रावधान है। संविधान के अनुच्छेद 253 में इसका अधिकार राज्यपाल को है। इसमें कहा गया है कि सरकार वैसे शहरों में नगरपालिका नहीं भी गठित कर सकती है, जहां कोई निकाय नागरिक सुविधाएं दे रही हैं या देने का प्रस्ताव कर रही है। इसका गठन किसी क्षेत्र में पूर्णतः या अंशतः किया जा सकता है। राज्यपाल शहर के क्षेत्रफल के मद्देनज़र इसे पूर्णतः या अंशतः औद्योगिक नगर घोषित करेंगे। पर राज्यपाल से आदेश या परामर्श लिए बिना झारखंड सरकार के कैबिनेट से संकल्प पारित कराकर नगर विकास विभाग ने इसकी अधिसूचना कर दी है और लिख दिया कि यह अधिसूचना राज्यपाल के आदेश से की गई है। यह संविधान का उल्लंघन है। इस अधिसूचना के गुण-दोष की समीक्षा इसकी स्तरहीनता की मीमांसा तो अलग से होगी।