गिरिडीह : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत आच्छादित 80 करोड़ लाभुकों के बीच प्रतिमाह अनाज का वितरण करने वाले देशभर के पांच लाख से अधिक कोटेदार कमीशन में बढ़ोतरी करने, शासन-प्रशासन से जारी होनेवाले आदेशों में अमानवीय पहलुओं की अनदेखी कर जारी करने समेत अन्य मांगों को लेकर एक जनवरी से बेमियादी हड़ताल पर हैं। झारखंड में भी 25 हजार से अधिक राशन डीलर/स्वंय सहायता समूहों की बहनें अपने परिवार को भुखमरी के कगार से मुक्त कराने को लेकर हड़ताल में शामिल हैं। इसके कारण पहली जनवरी से ही राशन केन्द्रों के बाहर ताले लटके हुए हैं। इस संदर्भ में ऑल इंडिया फेयर प्राइस डीलर्स फेडरेशन के राज्याध्यक्ष ओंकार नाथ झा और प्रदेश सचिव राजेश बंसल ने गुरुवार को फोन पर इस बाबत विस्तार से बताया कि झारखंड में 98 % पीडीएस डीलर अपने हक व अधिकार के लिए हड़ताल में शामिल हुए हैं।
केंद्र-राज्य सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये से डीलरों में आक्रोश
संघ के नेताओं ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारों की देश की सबसे बड़ी और सफल खाद्य सुरक्षा योजना को संचालित करनेवालों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण डीलरों को अपनी रोजी-रोटी के लिए विवश होकर हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा है। संघ के नेताओं ने कहा कि केन्द्र व राज्यों की सरकारें समावेशी विकास के रास्ते चल रही है. इसपर हमारा कोई विरोधभास नहीं है। लेकिन सरकारें, शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, कृषि व अन्य विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने को लेकर योजनाओं के जरिये अर्थिक मदद कर रही है. फिर कोटेदारों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों अपनाया जाता है? कोटेदार भी तो समाज के अंग हैं, जो विश्व की सबसे बडी खाद्य सुरक्षा योजना का 2014 से ही सफल संचालन कर रहे हैं.
सरकार ने अगर संज्ञान लिया होता तो, हड़ताल की नौबत ही नहीं आती : ओंकारनाथ झा
हड़ताल के कारण राशन प्रभावित होने पर संघ के नेताओं ने कहा कि पिछले एक साल से उनका चरणबद्ध आंदोलन के तहत धरना-प्रदर्शन- शासन-प्रशासन के जरिये मागों को लेकर ज्ञापन देने का आंदोलन चलता रहा है. जब सरकारों ने संज्ञान नहीं लिया तो मजबूरन में हड़ताल का आह्रवान करना पड़ा है। मांगों की बाबत श्री झा ने कहा कि गरीब कल्याण योजना के तहत 10 से I4 माह का कमीशन बकाया है। इसके अलावा महीनों का रेगुलर राशन वितरण का कमीशन भुगतान में टाल मटोल किया जाता है। अनुकंपा के प्रावधानों में बदलाव करने से अनेक मृतक डीलरों के आश्रित भुखमरी के कगार पर हैं। गोदामों में अनाज की चोरी/ कटौती को रोकने में विभाग नाकाम रहा, जिसका खमियाजा भी गरीब डीलरों को भुगतना पड़ता है। ई-पॉश मशीनों में नेटवर्क नहीं रहता है.
कमीशन राशि व्यावहारिक नहीं : राजेश बंसल
संघ के प्रदेश सचिव राजेश बंसल ने कहा कि राशन डीलर शासन- प्रशासन के अंग हैं। सरकार के सामुदायिक सेवाओं में डीलर आदेशों का निष्ठा से पालन करते हैं। लेकिन सरकार द्वारा डीलरों को क्या मिलता है। खुदरा बाजार में 70-80 रुपये किलो की दाल में डीलरों को महज एक रुपया कमीशन मिलता है, जबकि आम प्रचलन में एक रुपये का लेन देन लगभग नहीं के बराबर होता है। इसी तरह 100 – 150 रुपये की धोती- साड़ी-लूंगी का कमीशन महज तीन रुपया निर्धारित है, जिसमें गोदाम से दुकानों तक लाने का ट्रासपोर्ट भी शामिल है। बावजूद डीलर सरकार के साथ खड़े होकर वितरण करते हैं। लेकिन ऐसे में डीलर हड़ताल नहीं करे तो क्या करे?
सरकार राशन डीलरों का कमीशन बढ़ाएगी : सुदिव्य कुमार
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय नेता व गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार झारखंडी अवाम के हक-अधिकारों एवं उनके जीवन स्तर में सुधार को लेकर लगातार यथासंभव कार्य कर रही है। अपनी सरकार की चौथी सालगिरह के मौके पर राजधानी रांची में आयोजित समारोह में सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य भर के राशन डीलरों की कमीशन बढोतरी को लेकर घोषणा की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे खुद इनकी वाजिब मांगों को लेकर गंभीर हैं. इस संदर्भ में सीएम से कई चरणों में बात हुई है उनके संज्ञान में है, और सरकार काम कर रही है। श्री सोनू ने विश्वास व्यक्त किया कि शीघ्र राज्यभर के पीडीएस डीलरों के कमीशन में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि राज्य हित में हड़ताल वापस लेने पर भी विचार करने की जरूरत है।