रांची: खबरिया चैनल के एंकर सुधीर चौधरी अक्सर अपने बयानों से अपनी फजीहत करवा लेते हैं. उनका ये शगल पुराना है. झारखंड में एक आदिवासी समूह ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद ऑन एयर की गई टिप्पणी के लिए समाचार चैनल ‘आज तक’ के एंकर सुधीर चौधरी के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. उनके घृणित बयान पर खबरिया चैनल और तथाकथित सभ्य आदिवासी नेताओं ने चुप्पी साध रखी है. अलबत्ता, सोशल मीडिया में सुधीर चौधरी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है. 31 जनवरी को सुधीर चौधरी शिबू सोरेन परिवार की आदिवासी पृष्ठभूमि पर कटाक्ष किया था. उन्होंने कहा था कि जेल में एक रात (हेमंत सोरेन को तब से पांच दिनों की हिरासत में भेज दिया गया है) की तुलना ‘आदिवासी के जंगल में’ वर्षों बाद ‘वापस जाने’ से की जा सकती है. इसे आदिवासी समुदाय ने अपना अपमान माना है। इस मामले में आदिवासी सेना ने सुधीर चौधरी को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की है.
चौधरी की टिप्पणी से आदिवासी समाज में उबाल, कार्रवाई की मांग
चौधरी ने अपने शो में तंज कसते हुए कहा था कि क्या सोरेन परिवार, जो एससी/एसटी समुदाय से है, उसे ‘आरक्षण दिया जाना चाहिए’ या एससी/एसटी अधिनियम का लाभ दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था क्या इस परिवार को यह कहने का अधिकार है कि वह गरीब है? वे आदिवासी नहीं हैं, वे बड़े-बड़े बंगलों में रहते हैं. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जाति आधारित टिप्पणी करने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता ने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि सुधीर चौधरी जातीय द्वेष से ग्रस्त हैं। शिकायत के मुताबिक, सुधीर चौधरी नस्लवाद से पीड़ित व्यक्ति हैं, जिनके लिए जनजाति का मतलब पिछड़ापन और जंगलीपन है। शिकायत में आगे कहा गया है कि आदिवासी समाज जंगली समाज नहीं है। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि एससी-एसटी एट्रोसिटी प्रीवेंशन एक्ट-1989 के तहत सुधीर चौधरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाये और उनको गिरफ्तार किया जाए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी आदिवासी समुदाय से आती हैं: आदिवासी सेना
आदिवासी सेना की ओर से कहा गया है कि देश की पहली महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी आदिवासी समुदाय से आती हैं। सुधीर चौधरी आदिवासियों को नस्लवाद और श्रेष्ठता की भावना से प्रेरित जंगली बताते हैं। मामला दर्ज करने के साथ ही मांग की गई है कि सुधीर चौधरी के खिलाफ एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए और उनकी गिरफ्तारी की जाए. केस दर्ज कराने वालों में आदिवासी सेना के महानगर अध्यक्ष अजीत लकड़ा, अमरनाथ लकड़ा, आकाश तिर्की, पंकज भगत, नितिन तिर्की, मुन्ना तिर्की, आकाश बारा, अनुप लकड़ा, निशांत खलखो, उत्तम सांगा व अन्य शामिल हैं.
सोशल मीडिया के कई टिप्पणीकारों ने चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की
बता दें कि न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने एक बार ज़ी न्यूज़ की आलोचना की थी. ज़ी न्यूज में काम करने के दौरान चौधरी ने कॉस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) के सदस्यों, जो सभी पूर्व सिविल सेवक हैं, को ‘चालाक’ और एक ‘गैंग का बताया था. साल 2020 में चौधरी की टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया था. इसे लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. तब वह ज़ी न्यूज में कार्यरत थे. लोकसभा से निष्कासित तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने साल 2019 में सुधीर चौधरी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था, जब उन्होंने आरोप लगाया था कि संसद में ‘फासीवाद के शुरुआती संकेतों’ पर उनका भाषण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर मार्टिन लॉन्गमैन द्वारा लिखे गए एक लेख से चुराया गया था. सोशल मीडिया पर टिप्पणीकारों ने भी सुधीर चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.