बागपत: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल मलिक के खिलाफ सीबीआई ऐक्शन में आ गई है. जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में गुरुवार को सुबह से ही छापामारी जारी है. पुलवामा घटना को लेकर सतपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे आरोप मढ़ा था. इसके बाद सतपाल मलििक जल्द सीबीआई के घेरे में आ गए. तब कहा गया था कि उनसे रुटीन पूछताछ की गई है. फिर करीब साल भर तक सीबीआई शांत रही. इधर, किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर सतपाल मलिक मोदी सरकार पर प्रहार करने लगे थे. जिसके नतीजे में अब छापामारी प्रकरण सामने आया है. बागपत निवासी सतपाल मलिक बीते कुछ साल से सुर्खियों में रहे हैं। हालांकि किसान आंदोलन, धारा 370 और अग्निपथ योजनाओं को लेकर सत्यपाल मलिक ने केंद्र की भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर रुख अपनाए रखा। अभी हाल फिलहाल में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के फैसले पर उन्होंने तारीफ भी की थी।
अस्पताल में भर्ती मलिक ने कहा- तानाशाह मुझे बेवजह परेशान कर रहे हैं
सीबीआई छापामारी को लेकर सतपाल मलिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा है कि पिछले 3-4 दिनों से मैं बीमार हूं और अस्पताल में भर्ती हूं. इसके बावजूद मेरे मकान में तानाशाह द्वारा सरकारी एजेंसियों से छापे डलवाएं जा रहे हैं. मेरे ड्राइवर, मेरे सहायक के ऊपर भी छापे मारकर उनको बेवजह परेशान किया जा रहा है. मैं किसान का बेटा हूं, इन छापों से घबराऊंगा नहीं. मैं किसानों के साथ हूं.’ सीबीआई की टीम ने मलिक के घर समेत 30 अन्य जगहों पर छापा मारा है. इससे पहले बीमा घोटाले में सीबीआई की मलिक के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है. सीबीआई की टीम जम्मू-कश्मीर में मलिक और उनके करीबियों के ठिकानों पर भी रेड कर चुकी है. अभी यूपी, बिहार, राजस्थान, मुंबई, हरियाणा में भी सीबीआई की रेड चल रही है. बताया जा रहा है कि मलिक के दिल्ली के सोमविहार वाले फ्लैट से लेकर उनके गांव तक में छापे पड़ रहे हैं.
मलिक ने खुद उजागर किया था मामला
बता दें कि जिस मामले में मलिक के यहां सीबीआई छापेमारी कर रही है, उस मामले को मलिक ने खुद उजागर किया था. मलिक ने दावा किया था कि 2018-19 में जब वो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, इस दौरान उनसे दो फाइल को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इन दो फाइलों में एक फाइल अंबानी की थी और दूसरी फाइल आरएसएस से जुड़े एक शख्स की थी. ये शख्स महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे. उस मंत्री ने पीएम के करीबी होने का दावा किया था.
जानिए…सतपाल मलिक का राजनीतिक सफर
77 साल के सत्यपाल मलिक एक बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। मलिक के जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल रहते ही 5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया था। वह बिहार, ओडिशा, गोवा और मेघालय के गवर्नर भी रह चुके हैं। जाट परिवार से ताल्लुक रखनेवाले सत्यपाल मलिक देश की राजनीति की लगभग हर विचारधारा के हिस्सेदार रहे हैं। 1974 में चौधरी चरण सिंह ने भारतीय क्रांति दल से सत्यपाल मलिक को टिकट दिया और 28 साल की उम्र में सत्यपाल विधायक चुन लिए गए। अगले ही कुछ सालों के भीतर कांग्रेस का साथ छोड़कर सत्यपाल जनता दल में आ गए। सांसद बने और वीपी सरकार में मंत्री भी रहे। साल 1989 से 1991 के बीच वह अलीगढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य भी निर्वाचित हुए। वह बाद में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी उठा चुके हैं।