गिरिडीह (कमलनयन) : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर झारखंड में जबर्दस्त सियासी उठापटक शुरू हो गई है। चुनावों के दौरान कुछ अप्रत्याशित उलटफेर भी देखने को मिलता है. अब किसे पता था कि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन सुबह में झामुमो से इस्तीफा देगी और दोपहर में अपनी दोनों बेटियों के साथ भाजपा के पाले में चली जाएगी. जामा से तीन बार की विधायक रही सीता सोरेन ने अपने सियासी परिवार को छोडकर पीएम मोदी के परिवार में शामिल हो गई। अब ये भी चर्चा होना स्वाभाविक था कि सीता सोरेन को भाजपा आखिर किस संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाएगी. राजनीतिक पंडितों को लगा कि सीता सोरेन दुमका से चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि इसका निर्णय तो भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में होगी। सीता सोरेन दुमका के जामा से चुनाव लड़ती रही हैं तो लोगों को वहां से लड़ना स्वाभाविक लगा, पर ऐसा नहीं होने जा रहा है. जानकारों की मानें तो, भाजपा सीता सोरेन को दुमका से नहीं, चतरा सीट से चुनाव लड़ा सकती है। पिछले दो सालों में जेएमएम में रहते हुए सीता सोरेन का चतरा क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा है। भाजपा ने चतरा सीट को अभी होल्ड पर रखा है, जबकि दुमका से सुनील सोरेन फिर से टिकट दिया गया है. चतरा के सांसद सुनील सिंह को इस बार बेटिकट कर दिया गया है. भाजपा की पहली सूची में धनबाद में भी अभी तक प्रत्याशी नहीं दिया गया है.
कोडरमा से माले विधायक विनोद सिंंह का मुकाबला अन्नपूर्णा से होगा…! जेपी वर्मा बिदके
इधर, कोडरमा लोकसभा सीट पर इंडिया गठबंधन ने अभी तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया गठबंधन ने कोडरमा सीट पर भाजपा की प्रत्याशी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी के मुकाबले भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह को उतारा गया है. अन्नपूर्णा को टक्कर देने में विनोद सिंह सक्षम बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन में एक पक्ष 2022 में भाजपा छोड़कर जेएमएम में आए गाण्डेय के पूर्व विधायक प्रो. जय प्रकाश वर्मा को टिकट देने के पक्ष में है। अब यह निर्णय इंडिया गठबंधन को करना है. लेकिन बकौल प्रो. वर्मा की मानें तो उन्होंने कोडरमा लोस से टिकट दिये जाने के आश्वासन पर ही भाजपा से छोडी थी। प्रो. वर्मा के कथन में अब कितनी सत्यता है यह तो जेएमएम और प्रो. वर्मा ही बता सकते हैं। लेकिन राजनीतिक हल्कों में यह चर्चा है कि अगर प्रो. वर्मा को कोडरमा से लोस का टिकट नहीं मिला तो वे पुनः अपने पुराने घर भाजपा लौट सकते हैं. अगर उन्होंने फिर भाजपा का दामन थामा तो गाण्डेय विस उपचुनाव में जेएमएम की शीर्ष नेत्री और गाण्डेय की प्रबल प्रत्याशी कल्पना सोरेन के समक्ष वे मुश्किलें पैदा कर सकते हैं।
जेपी पटेल ने थामा कांग्रेस का दामन, हजारीबाग से हो सकते हैं उम्मीदवार
इस बीच बुधवार को एक और भी उलटफेर हुआ है. मांडू से भाजपा विधायक जय प्रकाश भाई पटेल ने कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. संभावना है कि कांग्रेस उन्हें हजारीबाग से लोस टिकट दे सकती है। हालांकि इस सीट पर सीपीआई के वरिष्ठ सदस्य व हजारीबाग के पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्र. मेहता हर हाल में यहां से चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं. उन्होंने कहा है कि अगर इंडिया गठबंधन के तहत यहां से टिकट नहीं दिया तो, भी वह चुनाव लड़ने से बाज नहीं आएंगे. हालांकि श्री मेहता की बातों पर किसी ने नोटिस नहीं लिया है. शायद यही कारण है कि जयप्रकाश पटेल ने अपनी शर्त के मुताबिक ही कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. इसलिए अब श्री मेहता का पत्ता कट चुका है, यह उन्हें मान लेना चाहिए. भाजपा ने हजारीबाग के विधायक रहे मनीष जायसवाल को टिकट थमा दिया है. जयप्रकाश पटेल और मनीष जायसवाल दोनों दो बार से भाजपा के विधायक रह चुके हैं. अगर भुवनेश्वर मेहता भी चुनावी मैदान में कूद गए तो, यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन सकते हैं.
गांडेय बनी हॉट सीट, कोडरमा से टिकट नहीं तो, क्या फिर पाला बदलेंगे जेपी वर्मा…?
याद रहे कि 2019 में प्रो. वर्मा ने भाजपा के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लडा और महज सात हजार मतों के अंतर से जेएमएम प्रत्याशी डा. सरफराज अहमद से पराजित हुए थे। जानकारों के मुताबिक जेएमएम आलाकमान के द्वारा राज्यसभा में भेजे जाने के आश्वासन के बाद इसी वर्ष जनवरी में डा. अहमद ने गाण्डेय सीट से इस्तीफा दिया था। जेएमएम के वायदे के मुताबिक डा. अहमद अब राज्यसभा के मेम्बर हैं। अब देखना होगा कि प्रो. वर्मा को दिया गया आश्वासन पर झामुमो का क्या रुख होता है. क्योंकि गांडेय सीट अब हॉट सीट बन चुकी है. यह सीट अब झामुमो परिवार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है. हालांकि दो-चार दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.