शारिक अहमद खान मूलतः रांची झारखण्ड के रहनेवाले है इन्होने नई दिल्ली के जामिआ मिलिया इस्लामिआ से मेकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद देश, विदेश में कई जगह नौकरी की और आजकल नई दिल्ली के जामिआ नगर में रहते हैं, इनकी खास बात ये है की ये स्वयं साईकिल की सवारी करते है लोगों को सेहत, वातावरण और प्रदूषण के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित करते है | अब तक ये हज़ारो किलोमीटर साइकल से सवारी कर चुके हैं और आगे भी कई स्थान घूमने जाने का कार्यक्रम है, आईये पढ़ते है इनकी कलम से इन्ही की कहानी |एक मित्र से प्रभावित हो कर मैंने २०१४ में साइकिल खरीदी और चलाना शुरु किया। सोचा सेहत के लिए भी काफी लाभदायक रहेगा। साइकिल चलने का शौक तो बचपन से रहा है। उम्र के साथ और व्यस्त होने की वजह से वह शौक जाता रहा। लेकिन जब दुबारा साइकिल चलाना शुरू किया तो शुरू में ५-१० किलो मीटर चालता था। लेकिन जब मैंने फेसबुक पे अपने एक मित्र को साइकिलिंग ग्रुप क साथ देखा तो मैंने उससे संपर्क किया और एक ग्रुप के साथ जुड़ गया। उसके बाद मुझे एहसास हुआ के ग्रुप में साइकिल चलाने के बहुत फायदे हैं। आप हंसी मज़ाक करते हुए काफी लम्बी दुरी आसानी के साथ तय केर लेते हैं। ग्रुप में साइकिलिंग करते करते ५०-१०० किलो मीटर भी बड़ी आसानी से हो जाया करता था। मैंने सबसे लम्बी साइकिलिंग दिल्ली से आगरा की करि थी , जो करीब २२५ किलो मीटर की थी , अभी तक हज़ारों किलो मीटर की साइकिलिंग कर चूका हूँ। अमेरिका में भी मुझे साइकिलिंग करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। २०१८ मैं मैंने सेहत के लिए रनिंग भी शुरू कर दी। करीब ५ महीने अभ्यास करने के बाद पहली बार दिसंबर में हाफ मैराथन में भाग लिया। जो की २१ किलो मीटर की दौड़ थी। उसको मैंने करीब ३ घंटे में तय किया। उसके बाद लगातार अभ्यास करता रहा और पिछले एक साल में ६ बार १० किलो मीटर की रेस में भाग लिया। अभी अक्टूबर २०१९ मैं एयरटेल दिल्ली हाफ मैराथन में १० किलो मीटर की दौड़ को लगभग एक घंटे और दो मिनट में समाप्त किया। प्रयास यह है के १० किलो मीटर को एक घंटे से कम समय में समाप्त करूँ। और फुल मैराथन मैं भाग लूँ और तय समय से पहले उसको समाप्त करूँ। और मेरी इच्छा यह है के साइकिल से दिल्ली से लेह लद्दाख का सफर तय करूँ ।
हज़ारों किलोमीटर साइकल का सफर, पर्यावरण के प्रति सजग झारखण्ड के शारिक अहमद खान
Sharique Ahmad Khan