गुमला – गुमला जिले के चैनपुर में रविवार को एक गंभीर घटना ने पशु चिकित्सा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। एक बीमार गाय की जान बचाने के लिए स्थानीय बजरंग दल के युवकों ने हर संभव प्रयास किया, लेकिन विभागीय लापरवाही और सेवाओं की सीमित उपलब्धता के कारण गाय की मौत हो गई।
यह घटना न केवल विभागीय व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है, बल्कि पशु चिकित्सा सेवाओं की प्रभावशीलता पर भी सवाल खड़े करती है। इस घटना के बाद सनातनी बजरंग दल के युवाओं ने विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर लापरवाही के लिए माफी मांगने की मांग की।
घटना का विवरण: बजरंग दल की कोशिशें और विभागीय उदासीनता
1. संकट के समय सेवाओं की अनुपलब्धता
गाय की तबीयत खराब होने पर बजरंग दल के युवाओं ने त्वरित कदम उठाते हुए पशु चिकित्सा विभाग की हेल्पलाइन 1962 पर संपर्क किया। उन्हें बताया गया कि विभाग की सेवाएं सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही उपलब्ध हैं। इसके बाद भी लगातार प्रयास करने के बावजूद युवकों को कोई मदद नहीं मिली।
स्थानीय युवा सौरभ कुमार, गणेश सिंह, और सूरज कुमार सहित अन्य ने कहा कि अगर विभाग समय पर सक्रिय होता तो गाय की जान बचाई जा सकती थी। इस घटना ने हेल्पलाइन सेवाओं और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र की कमियों को उजागर कर दिया।
2. गाय की मौत और अंतिम संस्कार
समय पर सहायता न मिलने के कारण गाय की हालत बिगड़ती गई और अंततः उसकी मौत हो गई। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सम्मानपूर्वक गाय का अंतिम संस्कार किया। इस घटना ने स्थानीय नागरिकों और धार्मिक संगठनों के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है।
विभागीय लापरवाही और जवाबदेही पर सवाल
1. सेवाओं की सीमित उपलब्धता
पशु चिकित्सा विभाग की सेवाओं का सीमित समय (सुबह 9 से शाम 5 बजे) आपातकालीन परिस्थितियों में अप्रभावी साबित हो रहा है। बजरंग दल के युवाओं ने कहा कि ऐसी सेवाएं उपयोगी नहीं हैं जो आपात स्थिति में मदद न कर सकें।
2. जवाबदेही की कमी
विभाग की लापरवाही और धीमी प्रतिक्रिया ने इसे विवाद के केंद्र में ला दिया है। विरोध प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह घटना विभागीय कर्मचारियों की उदासीनता का उदाहरण है। इस प्रकार की लापरवाही भविष्य में भी कई पशुओं की जान ले सकती है।
सुधार के लिए आवश्यक कदम
1. 24/7 हेल्पलाइन सेवाओं की आवश्यकता
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि आपातकालीन पशु चिकित्सा सेवाओं को चौबीस घंटे उपलब्ध कराया जाना चाहिए। यह कदम ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद कर सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।
2. कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना
पशु चिकित्सा विभाग को अपने कर्मचारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए। उनके कार्य प्रदर्शन की नियमित समीक्षा और शिकायत निवारण तंत्र को प्रभावी बनाना अनिवार्य है।
3. जागरूकता अभियान और संसाधनों का विस्तार
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों और नागरिकों के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। साथ ही, विभाग को अपने संसाधनों का विस्तार करते हुए मोबाइल क्लीनिक और ऑन-डिमांड सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
नागरिकों और संगठनों का आक्रोश
बजरंग दल के युवाओं ने विभाग की लापरवाही को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह घटना विभागीय व्यवस्था की खामियों को दर्शाती है और इसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है।
विरोध के दौरान युवाओं ने विभाग से माफी मांगने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की।
चैनपुर में हुई इस घटना ने पशु चिकित्सा विभाग की लापरवाही और व्यवस्थागत खामियों को उजागर कर दिया है। यह स्पष्ट है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभाग को अपनी सेवाओं में व्यापक सुधार करना होगा।
पशु चिकित्सा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपातकालीन सेवाएं हर समय उपलब्ध हों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो। ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है।
बजरंग दल और स्थानीय संगठनों का यह आह्वान कि विभाग अपनी खामियों को सुधारे, केवल एक घटना का समाधान नहीं है, बल्कि एक मजबूत और सक्षम पशु चिकित्सा व्यवस्था की दिशा में पहला कदम है।