गुमला – घाघरा प्रखंड के चपका चौक पर रविवार को सीआरपीएफ जवान शहीद संतोष उरांव की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस अवसर पर सीआरपीएफ के डीआईजी रविंद्र भगत, शहीद के परिजन, और स्थानीय नागरिकों सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने श्रद्धा और सम्मान के साथ प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शहीद को नमन किया।
यह कार्यक्रम शहीद संतोष उरांव की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। 17 नवंबर 2023 को चाईबासा के हाथी बुरु जंगल में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान संतोष उरांव ने देश सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
1. श्रद्धांजलि और सम्मान समारोह
सीआरपीएफ के डीआईजी रविंद्र भगत ने शहीद संतोष उरांव के बलिदान को देश के लिए अमूल्य बताया। उन्होंने कहा, “शहीद संतोष उरांव ने देश सेवा में अपने प्राणों की आहुति दी। उनका बलिदान हमेशा हमारे दिलों में रहेगा और हमें प्रेरित करता रहेगा।” डीआईजी ने युवाओं से अपील की कि वे शहीद के पदचिन्हों पर चलकर देश सेवा में योगदान दें।
शहीद के परिजन, जिनमें उनकी पत्नी फूलसुंदरी देवी और मां गीता देवी प्रमुख थीं, ने इस अवसर पर संतोष उरांव की वीरता और समर्पण को याद किया।
2. प्रतिमा अनावरण का महत्व
इस प्रतिमा के अनावरण का उद्देश्य शहीद संतोष उरांव की अमर गाथा को जीवित रखना है। यह प्रतिमा क्षेत्रीय नागरिकों और युवा पीढ़ी को देश सेवा और साहस की प्रेरणा देती रहेगी।
3. स्थानीय लोगों की भागीदारी
कार्यक्रम में प्रखंड प्रमुख सविता देवी, कृष्णा लोहरा, और अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे। इनके साथ स्थानीय जनता ने भी बड़ी संख्या में भाग लेकर इस समारोह को यादगार बनाया।
शहीद संतोष उरांव: नक्सलवाद से लड़ाई का प्रतीक
1. चाईबासा मुठभेड़: साहस और बलिदान की कहानी
संतोष उरांव 17 नवंबर 2023 को चाईबासा के हाथी बुरु जंगल में एक ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए। यह ऑपरेशन नक्सलियों के खिलाफ सीआरपीएफ की साहसिक कार्यवाही का हिस्सा था। उनके इस बलिदान ने न केवल नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया बल्कि पूरे देश को उनकी वीरता का उदाहरण भी दिया।
2. परिवार और समुदाय का गर्व
संतोष उरांव के परिवार ने उनके बलिदान को गर्व का विषय बताया। उनकी मां गीता देवी ने कहा, “हमने अपने बेटे को खोया है, लेकिन उनकी वीरता हमें गर्व का अहसास कराती है।” इस वीर सपूत का परिवार और गांव आज भी उनके बलिदान को याद कर गौरवान्वित महसूस करता है।
शहीद के बलिदान का संदेश और प्रेरणा
1. युवाओं के लिए प्रेरणा
शहीद संतोष उरांव का जीवन देशभक्ति और साहस की एक मिसाल है। उनके बलिदान ने युवाओं को यह संदेश दिया कि देश सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। डीआईजी रविंद्र भगत ने युवाओं को उनकी कुर्बानी से प्रेरणा लेने और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी करने की अपील की।
2. नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष की ताकत
संतोष उरांव का बलिदान यह दर्शाता है कि नक्सलवाद जैसे खतरों से निपटने के लिए साहस, समर्पण, और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता है। उनका बलिदान सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा बलों को प्रेरणा देता रहेगा।
घाघरा प्रखंड में शहीद संतोष उरांव की प्रतिमा का अनावरण उनके साहस और बलिदान को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और साहस की प्रेरणा देती रहेगी। शहीद संतोष उरांव का जीवन और बलिदान हमें याद दिलाते हैं कि देश सेवा का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यह सबसे बड़ा सम्मान भी लाता है।
इस मौके पर उपस्थित सभी लोगों ने यह प्रण लिया कि शहीद संतोष उरांव की कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। यह पहल न केवल उनके परिवार और समुदाय के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।