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Thursday, April 3, 2025
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आंजन-हिरनाखांड जंगल में पुलिस ने बरामद किए पांच केन बम: माओवादियों की बड़ी साजिश नाकाम

गुमला जिले के आंजन-हिरनाखांड जंगल में पुलिस और सुरक्षा बलों ने माओवादियों की एक बड़ी साजिश को विफल कर दिया। माओवादियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के उद्देश्य से कच्ची सड़क पर पांच केन बम बिछाए थे। गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए, गुमला पुलिस और एसएसबी की संयुक्त टीम ने इन बमों को बरामद किया और सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया।

कैसे उजागर हुई माओवादियों की साजिश?

26 नवंबर, 2024 को गुमला पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि आंजन-हिरनाखांड जंगल में माओवादियों ने सड़क पर बम बिछाए हैं। सूचना के बाद, गुमला पुलिस कप्तान शंभू कुमार सिंह ने एसडीओ सुरेश प्रसाद यादव के नेतृत्व में एक विशेष सर्च अभियान का गठन किया।

सुरक्षा बलों ने जंगल में गहन तलाशी अभियान चलाया और पांच केन बम बरामद किए। प्रत्येक बम का वजन लगभग दो किलोग्राम था।

बम निरोधक दस्ते ने किया विस्फोट

बरामद केन बमों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए रांची से बम निरोधक दस्ता (BDDS) बुलाया गया। 27 नवंबर, 2024 को इन बमों को एक निर्जन स्थान पर सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया।

पुलिस कप्तान ने बताया कि माओवादियों का इरादा सुरक्षा बलों को गंभीर क्षति पहुंचाने का था। यदि समय पर कार्रवाई न होती, तो यह एक बड़ी घटना बन सकती थी।

नक्सल-विरोधी अभियान: पुलिस की रणनीति

गुमला पुलिस और एसएसबी की टीम माओवादियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। पुलिस कप्तान शंभू कुमार सिंह ने बताया कि:

  • सुरक्षा बलों का प्रभाव: जिला में नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए लगातार सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।
  • नक्सलियों से अपील: झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत नक्सलियों से मुख्य धारा में लौटने की अपील की जा रही है।
  • जनता का सहयोग: ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।

क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा

गुमला जिले में पुलिस ने माओवादियों के प्रभाव को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस घटना ने साबित किया है कि माओवादी अभी भी क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन सुरक्षा बल उनकी साजिशों को नाकाम करने के लिए सतर्क हैं।

हाल की उपलब्धियां:

  • 2024 में बड़ी घटनाओं की रोकथाम: गुमला में पुलिस ने कई बार माओवादियों के बिछाए गए बमों को निष्क्रिय किया।
  • ग्रामीणों की सुरक्षा: जंगलों में सुरक्षा बढ़ाई गई है, जिससे ग्रामीणों का भरोसा पुलिस पर मजबूत हुआ है।

माओवादियों से अपील: मुख्यधारा में लौटने का अवसर

झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों के लिए एक सुनहरा अवसर है। पुलिस ने नक्सलियों से समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। इस नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, रोजगार और उनके परिवार के लिए सुरक्षा प्रदान की जाती है।

पुलिस कप्तान ने कहा, “हम चाहते हैं कि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं।”

सतर्कता और सहयोग ही है समाधान

गुमला के आंजन-हिरनाखांड जंगल की यह घटना माओवादियों की साजिशों के प्रति सुरक्षा बलों की सतर्कता को दर्शाती है। हालांकि माओवादी अभी भी अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं, लेकिन पुलिस और सुरक्षा बल उनके इरादों को नाकाम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

आप क्या सोचते हैं? क्या सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को मुख्यधारा में वापस लाने में सफल हो सकती है? अपनी राय दें।

न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया
एडिटेड – संजना कुमारी 

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