गुमला जिले में 03 से 18 आयु वर्ग के बच्चों की शैक्षणिक स्थिति का आकलन करने के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा घर-घर सर्वेक्षण अभियान की शुरुआत की गई है। यह सर्वेक्षण 4 दिसंबर 2024 से 4 जनवरी 2025 तक चलेगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों की शिक्षा से जुड़ी आवश्यकताओं और चुनौतियों को समझना और उन्हें उचित समाधान प्रदान करना है।
सर्वेक्षण का उद्देश्य: शिक्षा तक हर बच्चे की पहुंच सुनिश्चित करना
गुमला में शुरू किए गए इस शिशु पंजी सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
प्रमुख उद्देश्य:
- स्कूल में उपस्थिति: यह पता लगाना कि 03 से 18 आयु वर्ग के बच्चे स्कूल जा रहे हैं या नहीं।
- ड्रॉपआउट बच्चों की पहचान: वे बच्चे जो पढ़ाई बीच में छोड़ चुके हैं।
- शैक्षणिक चुनौतियों का आकलन: बच्चों और उनके परिवारों के सामने आने वाली शैक्षिक समस्याओं की पहचान।
- समावेशी शिक्षा: विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (दिव्यांग) को शिक्षा से जोड़ना।
अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, ज्योति खलखो ने इस अभियान को जिले की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
सर्वेक्षण का संचालन कैसे किया जाएगा?
शिक्षकों की भूमिका:
- सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षक घर-घर जाकर शिशु पंजी सर्वेक्षण करेंगे।
- सर्वेक्षण में शामिल होंगे:
- बच्चे की उम्र।
- क्या बच्चा स्कूल जाता है?
- किस कक्षा में पढ़ाई कर रहा है?
- क्या परिवार को शिक्षा के लिए किसी सहायता की जरूरत है?
अभिभावकों का सहयोग आवश्यक:
ज्योति खलखो ने सभी अभिभावकों और समुदाय से इस सर्वेक्षण में सहयोग करने की अपील की है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हर बच्चा शिक्षा से जुड़ा रहे।
शिशु पंजी सर्वेक्षण की विशेषताएं
1. शिक्षा के आँकड़ों का संग्रहण:
- यह सर्वेक्षण शिक्षकों को वास्तविक आँकड़े जुटाने में मदद करेगा, जो गुमला के शैक्षणिक परिदृश्य को बेहतर बनाने में सहायक होगा।
2. स्कूल ड्रॉपआउट की समस्या पर ध्यान:
- ऐसे बच्चों की पहचान होगी, जो किसी कारणवश स्कूल छोड़ चुके हैं।
- उन्हें दोबारा शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए योजना तैयार की जाएगी।
3. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए प्रयास:
- दिव्यांग बच्चों की शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी।
शिक्षा में सुधार की दिशा में एक कदम
गुमला जिले में इस अभियान से न केवल बच्चों की शिक्षा का स्तर बेहतर होगा, बल्कि यह सरकार को उन क्षेत्रों की पहचान करने में भी मदद करेगा, जहां सुधार की आवश्यकता है।
सरकार की पहल:
- झारखंड सरकार का यह प्रयास स्कूली शिक्षा और साक्षरता में सुधार के लिए चल रही योजनाओं का एक हिस्सा है।
- इस अभियान के परिणामों के आधार पर शिक्षा नीति में सुधार किया जाएगा।
समुदाय की भागीदारी:
- यह अभियान केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं है।
- समुदाय और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी इसे सफल बनाएगी।
सर्वेक्षण के परिणामों का महत्व
- सटीक आँकड़े:
- शिक्षा नीति निर्माण के लिए सही डेटा उपलब्ध होगा।
- ड्रॉपआउट कम होगा:
- स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस लाने के लिए प्रभावी रणनीतियां बनाई जा सकेंगी।
- शिक्षा की पहुंच:
- गुमला के हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम।
सर्वेक्षण के प्रति नागरिकों की भूमिका
ज्योति खलखो ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे शिशु पंजी सर्वेक्षण में सहयोग करें।
- सही जानकारी प्रदान करें।
- इस अभियान को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।
इस सर्वेक्षण से जिले में शिक्षा की स्थिति को लेकर एक सटीक तस्वीर उभरेगी, जो बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सहायक होगी।
हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार
गुमला जिले का यह शिशु पंजी सर्वेक्षण हर बच्चे को शिक्षा के अधिकार से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह अभियान न केवल शिक्षा तक बच्चों की पहुंच सुनिश्चित करेगा, बल्कि उनके भविष्य को भी उज्जवल बनाएगा।
क्या आप भी इस सर्वेक्षण में भाग लेने और इसे सफल बनाने में सहयोग करेंगे? अपनी राय और सुझाव हमारे साथ साझा करें।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया