गुमला जिले में अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू गुमला का गठन किया गया। यह संगठन उर्दू भाषा और संस्कृति के संरक्षण और प्रोत्साहन के उद्देश्य से काम करेगा। संगठन के गठन में विभिन्न पदाधिकारियों को नामित किया गया, जिसमें अध्यक्ष सरफराज कुरैशी और सचिव आसिफ अंसारी चुने गए।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य उर्दू भाषा को बढ़ावा देना, साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ाना और समाज में उर्दू भाषा की विरासत को संरक्षित रखना है।
गठित संगठन की संरचना और पदाधिकारी
मुख्य पदाधिकारी:
- अध्यक्ष: सरफराज कुरैशी
- सचिव: आसिफ अंसारी
- उपाध्यक्ष:
- सलमान अंसारी
- मौलाना गुलाम गौस
- फारुक रशिदी
- सह सचिव:
- मो. इलयास
- हाजी मंटु
- रुखसार प्रवीन
वित्तीय प्रबंधन:
- कोषाध्यक्ष: मो. सरवर खान
- सह कोषाध्यक्ष: मो. लडडन
कार्यकारिणी के सदस्य:
- मो. कमरुद्दीन कुरैशी
- मो. आशिक अंसारी
- आजाद अंसारी
- हाजी फैयाज
- अनीसुर रहमान
- मो. मुजीबुर रहमान
- गुफरान अंसारी
- मो. जबीउल्लाह
- अहमद मास्टर
- मो. आजाद खान
- मो. अफसर आलम
- हफीजुर रहमान
जानकारी: संगठन के प्रवक्ता मोहम्मद आशिक अंसारी ने साझा की।
अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू का उद्देश्य
1. उर्दू भाषा का प्रचार-प्रसार:
संगठन का प्राथमिक उद्देश्य उर्दू भाषा की समृद्ध विरासत को सहेजना और इसे समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना है।
2. साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम:
- उर्दू साहित्य को प्रोत्साहन देने के लिए कवि सम्मेलन, सेमिनार, और कार्यशालाओं का आयोजन।
- उर्दू के ऐतिहासिक महत्व और इसके साहित्यिक योगदान को उजागर करना।
3. शिक्षा और जागरूकता:
- उर्दू भाषा को स्कूली और उच्च शिक्षा में बढ़ावा देना।
- उर्दू शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देना।
उर्दू भाषा का महत्व और चुनौतियां
1. उर्दू: साहित्य और संस्कृति की धरोहर:
- उर्दू भाषा अपनी शायरी, गज़ल, और साहित्यिक रचनाओं के लिए प्रसिद्ध है।
- यह भाषा समाज के विभिन्न पहलुओं को जोड़ने का काम करती है।
2. वर्तमान चुनौतियां:
- उर्दू बोलने और पढ़ने वाले लोगों की संख्या में कमी।
- तकनीकी और आधुनिक शिक्षा के युग में उर्दू को प्रासंगिक बनाए रखना।
गुमला में उर्दू के विकास के लिए पहल
गुमला जिले में उर्दू भाषा के प्रति विशेष रुचि रखने वाले लोगों के सहयोग से इस संगठन का गठन हुआ।
- सामाजिक एकता को बढ़ावा: उर्दू भाषा लोगों को जोड़ने और सामुदायिक संबंध मजबूत करने में सहायक है।
- युवाओं की भागीदारी: युवाओं को उर्दू के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
आगे की योजना और गतिविधियां
1. उर्दू सेमिनार और साहित्यिक बैठकें:
- महीने में कम से कम एक बार साहित्यिक बैठकें आयोजित करने की योजना।
- उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकारों की कृतियों पर चर्चा।
2. उर्दू शिक्षा को बढ़ावा:
- गुमला में उर्दू स्कूलों और कोचिंग सेंटर्स की स्थापना।
- विद्यार्थियों को उर्दू में उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना।
3. डिजिटल उर्दू संसाधन:
- उर्दू साहित्य और भाषा को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रचारित करने की योजना।
- उर्दू के पाठ्यक्रम और साहित्यिक रचनाओं की डिजिटल लाइब्रेरी बनाना।
उर्दू भाषा का उज्जवल भविष्य
अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू गुमला का गठन उर्दू भाषा और साहित्य के पुनरुत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह संगठन न केवल उर्दू की समृद्ध परंपरा को संरक्षित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसकी विरासत से जोड़ने का काम करेगा।
क्या आप उर्दू भाषा और साहित्य के विकास में योगदान देना चाहेंगे? अपनी राय और सुझाव साझा करें।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया