गुमला :- गुमला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मान्दर को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिलाने की तैयारियों पर बैठक की। यह बैठक आगामी 20 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के संबंध में थी, जहां मान्दर के GI टैग के लिए फाइनल प्रेजेंटेशन दिया जाएगा। बैठक में संबंधित विभागों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
बैठक में गुमला उपायुक्त ने निर्देश दिया कि प्रेजेंटेशन स्थल पर मान्दर को सुरक्षित पहुंचाने के लिए उचित व्यवस्था की जाए। जिला उद्यमी समन्वयक को इसे अच्छी पैकेजिंग के साथ समय पर भेजने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही, मान्दर की सांस्कृतिक और कलात्मक विशेषताओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए PPT को और बेहतर बनाने पर जोर दिया गया। इसके लिए विशेषज्ञों की सहायता ली जाएगी।
कारीगरों को निर्देश दिया गया कि मान्दर पर आकर्षक पेंटिंग और कलाकृतियां तैयार की जाएं। साथ ही, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी टीम को निर्माण और सजावट की प्रक्रिया को रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया गया, ताकि यह प्रेजेंटेशन में प्रभावी ढंग से दिखाया जा सके।
रायडीह मान्दर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड
बताते चले कि मान्दर के GI टैग के लिए रायडीह मान्दर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (गुमला, झारखंड) ने आवेदन किया है। यह पंजीकृत संस्था जिले के मान्दर उत्पादकों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है,संस्था से जिले के 250 से अधिक कारीगर जुड़े हुए हैं।
उपायुक्त ने कहा कि मान्दर को GI टैग दिलाने से न केवल स्थानीय कारीगरों को आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलेगा, बल्कि यह झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का भी काम करेगा।र
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया