संविधान भारत की आत्मा है। यह केवल एक पुस्तक मात्र नहीं है। इसमें हमारे स्वतंत्रता संग्रामियों का बलिदान निहित है। आज अगर राष्ट्र आगे बढ़ रहा है तो इसी संविधान की ताकत पर। इसलिए आज के दिन सबसे पहले हम अपने स्वतंत्रता संग्रामियों को और संविधान के निर्माताओ का स्मरण करते हैं। उक्त बातें विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पवन कुमार पोद्दार ने कहीं। वह गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि संविधान के पीछे के इतिहास आज के युवाओं को हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए। यह संविधान की ही देन है कि आज हम सबके भीतर अरमान मचलते हैं। युवा अपने कर्तव्यों का निर्माण जरूर करें। हम सबको न्याय, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता एवं बंधुत्व की भावना को आत्मसात करनी चाहिए।
स्वतंत्रता की लड़ाई में हजारीबाग के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने बाबू रामनारायण सिंह, के बी सहाय एवं अन्य स्वतंत्रता संग्रामियों का स्मरण किया।
विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि हमारे एनसीसी, एनएसएस तथा प्लेसमेंट का कार्य संतोषप्रद है। विश्वविद्यालय में लगभग दस पेटेंट, बड़ी संख्या में शोध पत्र, कई सारे प्रोजेक्ट ने विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया है। समाज विज्ञान के विकास में भारत सरकार से प्राप्त 100 करोड़ के सदुपयोग की बात उन्होंने कही।
विश्वविद्यालय में चौबीस घंटे गैर पारंपरिक ऊर्जा की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने चार-पांच महत्वपूर्ण एमओयू किया है और अति शीघ्र और चार-पांच एमओयू कर लिए जाएंगे। विश्वविद्यालय में कला एवं संस्कृति तथा खेल कूद के विकास से संबंधित जानकारी उन्होंने सबको दी।
कुलपति ने मल्लखंब जैसे पारंपरिक खेल की चर्चा करते हुए कहा की बहुत जल्द इसकी एक कार्यशाला विश्वविद्यालय में लगाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि विनाश के आधार पर विकास नहीं होनी चाहिए। यह नैतिकता के आधार पर होनी चाहिए। तभी हमारा देश फिर से विश्व गुरु की भूमिका में आ पाएगा। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय को तीन एकड़ की भूमि प्राप्त हुई है जिसके सदुपयोग योजना बनाई जा रही है।
उपलब्धियां के बारे में बताने के बाद उन्होंने कहा कि हमें अभी मिलो चलना बाकी है। कुछ समस्याएं भी है जिसे जल्द से जल्द सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने एक इनक्यूबेशन केंद्र को शीघ्र प्रारंभ करने की जानकारी दी। काउंसलिंग की व्यवस्था दुरुस्त करने तथा जिम्नेशियम को जल्द प्रारंभ करने की बात कही।
उन्होंने कुछ ऐसे पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने की बात की जो ग्लोबल से लोकल के विषय पर आधारित हो। उन्होंने वर्ष में एक दो राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। अंत में उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।
News – Vijay Chaudhary