आचार्य विनोबा भावे का जीवन समाज के लिए समर्पित रहा। जय जगत के मंत्र के उद्घोष से उन्होंने विश्व मानवता की भावना को सशक्त किया। उक्त बातें गांधी सेवाग्राम, वर्धा के महासचिव आचार्य विनोद स्वरूप ने शुक्रवार को राजनीति विज्ञान विभाग में संत विनोबा के दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कही । विनोबा भावे की स्मृति की चर्चा करते हुए उन्होंने महात्मा गांधी सेवाग्राम एवं पांवनार आश्रम के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हमारे शरीर का एक स्थूल पक्ष है और एक चेतन पक्ष है। हम केवल स्थूल पक्ष की जरूरत को पूरा करने के लिए पूरी जिंदगी भागते रहते हैं। अंत में हमें सिर्फ दुख ही हाथ लगता है। अतः हमें अपने चेतना पक्ष की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। हमारी चेतना जागृत होगी तो हमारा जीवन भी सुखमय होगा।
उन्होंने बताया कि विनोबा भावे को एक तरफ जहां हिमालय में जाकर तप करने का आकर्षण था वही बंगाल के क्रांतिकारी से भी वह बहुत प्रभावित थे । परंतु गांधी के संपर्क में आने से उन्हें हिमालय की शांति और बंगाल की क्रांति का समन्वय महात्मा में दिखा।
आचार्य विनोद ने विद्यार्थियों को सेवाग्राम एवं पवनार आश्रम की परिदर्शन के लिए भी आमंत्रित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने कहा कि विनोबा भावे के विचारों से प्रेरणा लेते हुए विनोबा भावे विश्वविद्यालय ज्ञान दान के माध्यम से विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने का काम कर रहा है। डॉ मोइत्रा ने आचार्य विनोद के प्रति आभार जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय और विभाग के लिए सौभाग्य है कि सेवाग्राम के महासचिव और गांधी-विनोबा के प्रखर अनुयाई आज विभाग में उपस्थित होकर हम सबको अनुप्राणित कर रहे है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रमोद कुमार ने किया। मौके पर डॉ विश्वनाथ आजाद, डॉ मार्गरेट लकड़ा, डॉ रीता कुमारी, डॉ अजय बहादुर सिंह, डॉ विनोद रंजन, डॉ बलदेव राम, डॉ मृत्युंजय प्रसाद, डॉ रुखसाना बानो, उदय कुमार मेहता, धर्मेंद्र कुमार, रवि विश्वकर्मा, महेंद्र पंडित, विकास कुमार यादव, विकास कुमार रवि, श्वेता तथा तृतीय समसत्र के विद्यार्थी काफी संख्या में उपस्थित थे।
News – Vijay Chaudhary